यदि आप बवासीर, अर्श, मस्से की समस्या से ग्रसित हैं तो हम आपकों बता रहे हैं इस समस्या को दूर करने के घरेलु व आयुर्वेदिक उपचार।
प्रतिदिन 2 लीटर गाय के दूध से बनी दही से निकली हुई मीठी छांछ में थोड़ा जीरा मिलाकर सेवन करें।
जिमीकंद और गुड का हमेशा इस्तेमाल करते रहे, मल, मूत्र, गैस को अधिक देर तक न रोकें, क्योंकि यह बवासीर का कारण बनती है।
पपीता, अंगूर, आम का सवेन करने से बवासीर नहीं होती।
नारियल पानी, सूप, पानी, और छाछ जैसी तरल चीजों का सेवन करें। यह मल को कठोर नहीं होने देती जिससे रोगी को मल त्यागना आसान हो जाता है।
उबले हुए दूध में पके केले को मसलकर दिन में 2 से 3 बारी लें।
2 से 3 महीने तक लगातार पालक, गाजर और चुकंदर का रस रोज पीएं।
मेथी, गाजर, शलजम, करेला, अदरक, प्याज आदि का सेवन करें ।
सुबह-सुबह जामुन में नमक लगाकर 1 से 2 महीने तक सेवन करते रहने से भी बवासीर ठीक हो सकता है।
छाछ में अजवाइन डालकर सेवन करते रहें।
जब बवासीर बहुत बढ़ जाये
पका हुआ केला लें और उसे चीरकर दो टुकड़े कर लें और उसमें कत्था पीसकर छिड़क दें और इसे खुले आकाश के नीचे शाम को रख दें और सुबह उस केले का सेवन करें। लगातार एक सप्ताह तक एैसा करने से खतरनाक से खतरनाक बवासीर खत्म हो जाती है।
बकरी का दूध सुबह और शाम पीने से बवासीर से खून आना बंद हो जाएगा।
हरड़ को गुड के साथ लेने से लें। कमल के हरे पत्ते को पीसकर उसमें मिश्री को मिलाकर खाने से बवासीर से खून आना बंद हो जाता है।
ताजा मक्खन, नागकेशर और मिश्री तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर खाने से बवासीर रोग में फायदा मिलता है।
बड़ी इलायची को पचास ग्राम की मात्रा में तवे पर भून लें। और जब यह ठंडी हो जाए तब इसे कूट कर इसका चूर्ण बना लें। रोज सुबह पानी के साथ इस चूर्ण का सेवन करें। इस घरेलू उपचार से आपको बवासीर से राहत मिलेगी।
जमीकंद के भुरते को देसी घी में बनाएं। और इसमें बहुत ही कम नमक मसाले डालें। इसका नियमित सेवन से बवासीर ठीक हो सकती है।
मूली का प्रयोग
मूली में घुलनशील फाइबर होते हैं जो पाचन क्रिया को ठीक रखते हैं और मल को मुलायम बनाते हैं। बवासीर से होने वाला दर्द और सूजन को कम करने का काम भी करते हैं ये घुलनशील फाइबर।
पहले तो जितना हो सके आप कच्ची मूली का सेवन करें।
सौ ग्राम मूली लें और उसे घिस लें। अब उसमें एक चम्मच देसी शहद मिलाएं और सुबह और शाम इसका सेवन करें।
इसके अलावा आप मूली का रस बनाकर भी पी सकते हैं। ज्यादा उपवास न रखें। उपवास में जूस, छाछ और सूप का सेवन करते रहें।
आयुर्वेद में उपचार
काकायान गोली,अर्श हर गोली सुबह-शाम भोजन के बाद अभियारिष्ट 10एमएल, ़पुनर्नवारिष्ट 10एमएल रात को भोजन के आधे घंटे पर लें।
सोने और खाने में 3 घंटे का अंतर रखें।
सोते समय 10 ग्राम मेरा नुस्खा नम्बर 11 शहद या गुलकन्द में लें।
हर 4-5 रात को 2 बड़े चम्मच अरन्डि तैल गुनगुने पानी से या दूध से लें।
रक्त बवासीर में
अशोक छाल – 10ग्राम
नागकेसर – 10ग्राम
फिटकरी – 10ग्राम
मूलहठी – 10ग्राम
इस को कच्ची लस्सी या चावल की धावन से लें। पहली ही खुराक से असर शुरू।
Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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