हरिद्वार। मां मंशा देवी कथित ट्रस्ट का संचालन नियम विरूद्ध होने के बावजूद प्रशासन की मिलीभगत से बेरोकटोक संचालित हो रहा है। सूचना का अधिकार में सूचना मांगने पर सभी विभागों से एक जैसा ही जवाब सूचना मांगने वाले को दिया गया। मजेदार बात यह कि जिलाधिकारी से मांगी गई सूचना व कार्यवाही किए जाने की मांग को लेकर डीएम ने मामले की जांच सिटी मजिस्ट्रेट को सौंप दी। सिटी मजिस्ट्रेट ने उस पत्र को आगे बढ़ाते हुए जांच सीओ को प्रेषित कर दी। जहां से जांच कोतवाली पुलिस को सौंप दी गई। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जीरो टालरेंस की सरकार व उसके नुमांईदे आम आदमी को न्याय देने के प्रति कितना संजीदा हैं।
वहीं दूसरी ओर जिस कथित ट्रस्ट को ट्रस्ट कहकर प्रचारित व प्रसारित किया जा रहा है वह वजूद में ही नहीं हैं। इसी मामले में सिटी मजिस्ट्रेट ने करीब डेढ़ वर्ष पूर्व सोसायटी चिट फण्ड को पत्र भेजकर कथित ट्रस्ट की जांच कर आख्या देने के निर्देश दिए थे, जो की आज तक पूरी नहीं हो पाई। वैसे इस मामले का निपटारा करीब 15 वर्ष पूर्व ही हो जाना था। श्रीमहंत शंकर भारती को हटाने के बाद शंकर भारती महाराज ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, किन्तु न्यायालय में जाने के कुछ समय बाद ही उनका निधन हो गया। सूत्र बताते हैं कि अब फिर से मामला न्यायालय में जा सकता है। कथित ट्रस्ट के ट्रस्टी रहे प्रदीप शर्मा का त्यागपत्र लेने के बाद यह विवाद पुनः सुलगने लगा है। बड़ी बात यह कि प्रदीप शर्मा से किसने और क्यों इस्तीफा लिया। सूत्र बताते हैं कि समझौता होने के बाद भी प्रदीप शर्मा को ट्रस्टी नहीं बनाया गया। जिससे विवाद की चिंगारी फिर से भड़क सकती है।