पूर्व में भी इसी बाग से पांच हरे पेड़ों को काटा गया था
हरिद्वार। पर्यावरण को ठीक रखने के लिए हरे पेड़ों का महत्व है। परन्तु वन विभाग को इस बात कोई लेना देना नही है। हरिद्वार के डीएफओ की कारगुजरी पर नज़र डाली जाए तो कनखल में वाल्मीकि बस्ती के पीछे वर्षो से चले आ रहे बाग में एक ऐतिहासिक कुआं भी हुआ करता था, जिसमें पूजा और गौ दान भी करवाया जाता था। लेकिन बाद में एक विशेष योजना के तहत इस को बंद कर दिया गया और कुएं को मिट्टी और पत्थर से पाट दिया।
अब अभिलेखों में दर्ज आयुषी व वन्दना ने इस बाग को एक बिल्डर की मदद से इसमें बहुमंजिलाअपार्टमेंट बनाने के लिए हरे भरे बाग को काटने की योजना बना डाली है। जिसमें पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने में हरिद्वार के चर्चित डीएफओ की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही हैं। बिल्डर ने वन विभाग से हाथ मिला कर गत दिनों भी पांच हरे आम के पेड़ों पर आरी चलवा दी, जिस पर पर्यावरण प्रेमी वीएस शर्मा ने दो महा पूर्व ही बाग के पेड़ कटने का अंदेशा जताकर जिला अधिकारी व वन विभाग के अधिकारियों को आगाह पत्र लिखकर किया था, लेकिन कागज के टुकड़ों के आगे सभी नतमस्तक दिखाई दिए । उस समय पर्यावरण प्रेमियों ने इस बात की जानकारी जिलाधिकारी को दी तो उनके हस्तक्षेप से कुछ पेड़ बच गए थे, पर पर्यावरण विरोधियों और भू कारोबारियों ने पुनः पांच पेड़ों की अनुमति डीएफओ से किस आधार पर हासिल कर ली यह समझ से परे है। जब शनिवार सुबह से ही पेड़ कटने शुरू कर हुए तो आरिओं की आवाज आने पर पर्यावरण प्रेमियों ने पुनः जिलाधिकारी और डीएफओ से संपर्क साधा। जिस पर जिलाधिकारी ने विभागीय अधिकारी को जांच के लिए कहा। किंतु डीएफओ ने 5-5 पेड़ों की अनुमति अलग अलग किश्तों में किस आधार पर दी यह कोई नहीं बता पा रहा है। और अब तक कई पेड़ों को काट कर ठिकाने भी लगा दिया है।
वहीं दूसरी तरफ डिप्टी रेंजर का कहना है कि बाग के 10 पेड़ों को काटने के लिए अनुमति मांगी गई थी। इसीलिए इनको डीएफओ ने किस्तों में पेड़ काटने की अनुमति दी है, जबकि नियमानुसार फलदार पेड़ों को जिस पर बौर आ रहा हो को आसानी से अनुमति नहीं मिलती। अब पर्यावरण प्रेमियों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है कि जब धामी सरकार पर्यावरण को बचाने के लिए एक पेड़ मां के नाम सहित कई योजनाओं पर हर साल लाखों खर्च कर रही हैं तो वहीं एक विभागीय अधिकारी किसकी शह पर हरे भरे फलदार बाग को कटवा कर पर्यावरण को क्यों प्रदूषित करने में लगा हुआ है।