हरिद्वार। माया ने अच्छे-अच्छों को अर्श से फर्श और फर्श से अर्श तक पहुंचाया है। सत कर्मों से अर्जित की गयी माया अर्श तक पहुंचाने के साथ स्थायी होती है, किन्तु अनीति से कमायी माया अर्श से फर्श तक पहुंचाने में देर नहीं लगाती। ऐसी माया आने के साथ व्यक्ति उसके मद में अंधा हो जाता है। फिर उसे नीति और अनीति का भान नहीं रहता। ऐसा ही तीर्थनगरी में भी हो रहा है। जहां अनीति पूर्वक कमायी माया से मोह माया का त्याग कर चुके कुछ लोेगों ने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है। जिसे अब वो स्थायी मान चुके हैं। किन्तु यह अटल सत्य है कि अनीति पूर्वक अर्जित की गयी माया जब जाती है तो अपने साथ मान-सम्मान के अतिरिक्त बहुत कुछ ब्याज समेत ले जाती है। तीर्थनगरी के एक संत ने काफी माया कमायी। माया के आते ही वह दो के चार करने में लग गए। अब वहीं माया उनके गले की फांस बनती जा रही है। माया के साथ कर्ज को जाल भी बुनता जा रहा है। आम आदमी तो हजारों में कर्ज लेता है, किन्तु इनके यहां कर्ज की शुरूआज करोड़ों से होती है। एक से कर्ज लिया, मांगा नहीं दिया तो उसने जमीन के एक भूखण्ड पर कब्जा कर लिया। दूसरे से लिया वह मांगते-मांगते थक गया। जब उसका रौद्र रूप सामने आया तो उसे भी भूखण्ड की लोलीपॉप पकड़ायी जा रही है। वहीं एक को भूखण्ड बेचा, पैसा लिया, किन्तु ना तो भूखण्ड पर कब्जा दिया और ना ही अब पैसा वापस लौटाया जा रहा है। इसको लेकर बैठक, धमकी सब हो चुकी, किन्तु नतीजा सिफर रहा। अब भूखण्ड के नाम पर अपने पैसे फंसा चुका प्रापर्टी डीलर शेर की भांति व्यवहार करने लगा है। धमकी मिलने के बाद भी उसने चेतावनी दी है कि शीघ्र ही उसका हिसाब कर दिया जाए वरना वो सरकारी गवाह बन जाएगा और अभी तक की सारी पोल पट्टी खोलकर रख देखा, फिर जेल में अपनी माया का हिसाब करना। प्रापर्टी डीलर के यह शब्द सुनकर माया का त्याग करने वाले चक्कर में हैं कि अब करें तो करें क्या। माया पहले से ही रूठ चुकी है। अब यदि प्रापर्टी डीलर ने अपने कहे के मुताबिक काम कर दिया तो लुटिया सूखी ही नदी में डूब जाएगी।

मेरा हिसाब करो, वरना बन जाऊंगा सरकारी गवाह, फिर खाना जेल की हवा


