हरिद्वार। संत का वेश धारण कर सनातन को बदनाम करने वालों के खिलाफ सरकार ने विगत दिनों ऑपरेशन कालनेमी लॉन्च किया, जिसके तहत अब तक सैकड़ो फर्जी बाबाओ को गिरफ्तार किया जा चुका है। प्रदेश में फर्जी बाबाओ की गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है। सभी ने सरकार के ऑपरेशन करने का स्वागत किया है, किंतु कई सवाल भी संतों के द्वारा ही खड़े किए जा रहे हैं।
मजेदार बात यह है कि ऑपरेशन कालनेमी के तहत उनको गिरफ्तार किया जा रहा है, जो भिक्षावृत्ति कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं, या जो गुरु गोरखनाथ की परंपरा में सपेरे आदि है। इनमें कुछ गैर हिंदू की पकड़े गए हैं। बड़ी बात यह कि ऑपरेशन कॉलोनी केवल नाम मात्र के लिए चलाया गया ऑपरेशन सिद्ध हो रहा है। ऑपरेशन कालनेमी के तहत गिरफ्तार किए जाने वाले भिखारियों को पड़कर उनका थाना, कोतवाली में फोटो सेशन करवा कर 151 के तहत चालान पर छोड़ दिया जाता है। प्रचारित ऐसा किया जा रहा है कि जैसे फर्जी बाबाओं का प्रदेश से नमोनिशां शीघ्र ही मिटा दिया जाएगा। देखा जाए तो इस ऑपरेशन कालनेमी को लागू करने से पहले कोई नियम कानून नहीं बनाए गए। जबकि सरकार असली कालनेमियों के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। बल्कि सरकार कालनेमियों को देखा जाए तो बढ़ावा देते हुए उनकी पूजा अर्चना में लगी है।
सनातन परंपरा में चार शंकराचार्य की ही मान्यता है, जबकि देश में दर्जनों शंकराचार्य बने घूम रहे हैं। बात यदि हरिद्वार की की जाए तो यहां स्वयं को द्वारका पीठ का कहने वाले दो शंकराचार्य थे, जबकि एक ने अपनी किरकिरी होने पर पद छोड़ दिया, जबकि दूसरे राजराजेश्वराश्रम स्वयं को द्वारिका पीठ का शंकराचार्य कहते हैं, जबकि वर्तमान में द्वारका पीठ गुजरात में है और वहां के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज हैं। ऐसे में जो शंकराचार्य नहीं है और शंकराचार्य कहकर सनातन और सनातन सनातनी जनता को धोखा देने का कार्य कर रहे हैं क्या वास्तव में असली कालनेमी उनको नहीं कहा जाना चाहिए।
सरकार के मुखिया जब भी हरिद्वार भ्रमण पर आते हैं इनका आशीर्वाद अवश्य लेने के लिए उनके दर पहुंचते हैं। सरकारी विज्ञप्ति में भी इनको शंकराचार्य कहकर संबोधित किया जाता है। वहीं दूसरे अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पर भी सुप्रीम कोर्ट ने शंकराचार्य पदनाम का उपयोग करने पर रोक लगाई हुई है।बावजूद इसके वह भी शंकराचार्य पदनाम का बेरोकटोक उपयोग कर रहे हैं और सरकार उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। ऐसे में ऑपरेशन कालनेमी पर सवालिया निशान उठना लाजिमी है। जब सरकार खुद फर्जी की पूजा करें तो समझा जा सकता है कि ऑपरेशन कालनेमी कोरी वाहवाही लूटने का जरिया बनाया हुआ है। भिखारियों के खिलाफ कार्रवाई करने मात्र से सनातन की रक्षा नहीं की जा सकती है। जरूरत है असली कालनेमियों को पकड़कर उनका पर्दाफाश करने की, जिससे सनातन की रक्षा की जा सके और असली का चेहरा बेनकाब हो सके।