हरिद्वार। आया ऊंट पहाड़ के नीचे वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए ब्लैकमेलर पत्रकारों के ब्लैकमेलर सरकारी कर्मचारी अब माफी मांगने की कगार पर आ चुके हैं। कल तक टेबल पर बैठकर मामले को ले देकर निपटाने का दवाब बनाने वाले अब प्रताडि़त करने के बाद पीडि़त को गुरु बताने पर आमादा हैं।
इतना ही नहीं किन ब्लैकमेलर पत्रकारों ने उन पर अनैतिक कार्य करने के लिए दवाब बनाया था, उनकी पहचान को उजागर करने के लिए भी वे तैयार हैं। बावजूद इसके जो परिस्थितियां उत्पन्न कर दी गई हैं और जिस प्रकार से प्रताडि़त किया गया है, उसको देखते हुए माफी दिए जाने की संभावना 50 फीसदी ही नजर आ रही है। वहीं कुछ ब्लैकमेलरों ने माफीनामा भेजा है तो कुछ माफी मांगने के लिए बिना शर्त तैयार है। किन्तु गंदगी का साफ होना वर्तमान के हालातों को देखते हुए जरूरी हो गया है। क्या होगा यह पीडि़त के रूख से ही स्पष्ट हो पाएगा।
उल्लेखनीय हैं कि कुछ ब्लैकमेलर पत्रकारों के बहकावे में आकर सिंचाई विभाग के कर्मचारी ने नोटिस-नोटिस को खेल खेलकर अनैतिक रूप से दवाब बनाकर आर्थिक हित साधने का असफल प्रयास किया था। जबकि कर्मचारी को नोटिस भेजने का कोई अधिकार नहीं था और नोटिस खामियों से भरा हुआ था, जिसको देखकर स्पष्ट था की मामला ब्लैकमंलिंग के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। व्हाट्एप पर नोटिस जारी करने के बाद अपने को पूरी तरह से फंसता देख तथा नौकरी को खतरे में देखते हुए अब कर्मचारी को अपनी गलती का एहसास होने लगा है और वह प्रताउि़त करने के बाद पीडि़त को अपना गुरु बताने पर आमादा है।
इतना ही नहीं जिन लोगों ने उससे अनैतिक दबाव बनाकर अनैतिक कार्य करवाया, उनकी भी पोल पट्टी खोलने के लिए वह तैयार है। अब देखना दिलचस्प होगा की भ्रष्टाचार के इस खेल में कितने सफेदपोश चेहरे बेनकाब होते हैं।


