पिता-पुत्र आए दिन संत के दर लगाते हैं गुहार, संत दे रहा टका सा जवाब
हरिद्वार। एक समय था जब लोग संतों के पास जाते थे तो उन्हें संतों के दर्शन लाभ के साथ कुछ न र्कुछ आशीर्वाद के रूप में अवश्य मिलता था, किन्तु अब संत के रूप में कुछ ऐसे कालनेमि उत्पन्न हो गए हैं कि उनके पास दर्शनों के लिए जाने का मतलब है कि अपना सब कुछ लुटवा देना। ऐसे कई मामले प्रकाश में आए हैं जब भगवाधारियों का प्रभुत्व देखकर भोले-भाले लोग इनका शिकार हो गए। अब वे खून के आंसू रो रहे हैं और संत उनके माल पर गुलर्छेर उड़ा रहे हैं।
बताते हैं कि यूपी बिजनौर निवासी एक व्यापारी ने हरिद्वार के एक कथित संत का प्रभुत्व देखकर उनके यहां जाना शुरू किया। कुछ दिनों बाद उन्होंने संत को गुरु धारण कर लिया। गुरु धारण करते ही चेला गुरु के जाल में फंस गया। सूत्र बताते हैं कि गुरु ने व्यापारी से मध्य हरिद्वार व उसके आसपास काम्पलेक्स या शोरूम दिलाने के नाम पर थोड़ा-थोड़ा कर ढ़ाई करोड़ रुपये वसूल लिए। दो वर्ष बीत जाने के बाद भी जब व्यापारी को ना पैसा मिला और न ही सम्पत्ति तो उसने गुरु से तकाजा किया। इस बीच दोनों के बीच तू-तू, मैं-मैं भी हुई, किन्तु नतीजा ढाक के तीन पात वाला रहा। अब कुछ महीनों से व्यापारी अपने पुत्र के साथ आए दिन संत की चौखट पर दस्तक देता है, किन्तु उसका कोई हल नहीं निकला। इस बीच व्यापारी का उग्र रूप होता देख कथित संत ने उसे विगत माह जमीन का एक भूखण्ड देने का ऑफर किया।
मजेदार बात यह की जिस भूखण्ड को देने का व्यापारी को ऑफर किया गया है उसका मालिक भी वह भगवाधारी नहीं है। यानि की पैसा फंसाने के बाद भी व्यापारी को यहां भी फंसाने का कुचक्र भगवाधारी रच रहा है। इतना ही नहीं हरिद्वार के एक अन्य व्यक्ति से भी भगवाधारी ने दो करोड़ की रकम ली। वापस न करने पर उस व्यक्ति ने भगवाधारी की जमीन के एक भूखण्ड पर कब्जा कर लिया। बावजूद इसके भगवाधारी लोगों को षडयंत्रपूर्वक अपने जाल में फंसाने का लगातार खेल खेलता जा रहा है। बहरहाल संत मजे मार रहा है और उसके जाल में फंसे दर्जनों लोग खून के आंसू रो रहे हैं।
सबसे बड़ी बात यह की सब कुछ जानने के बाद भी हरिद्वार का संत समाज जो लोग को सत्य, निष्ठा, धर्म के उपदेश देता है वह चुप्पी साधे हुए है। जिस कारण से ऐसे कालनेमियों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं।