श्री चेतनानंद आश्रम में गुरु मूर्ति अनावरण व निर्वाण महोत्सव का आयोजन
हरिद्वार। श्री चेतनानंद गिरि आश्रम में मंगलवार को आश्रम के श्रीमहंत विष्णुदेवनानंद गिरि महाराज का द्वितीय निर्वाण महोत्सव श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर गुरु मूर्ति का अनावरण भी किया गया।
निर्वाण महोत्सव की शुरूआत श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के साथ हुई। कथा का विश्राम सोमवार को किया गया। मंगलवार को आश्रम के ब्रह्मलीन श्रीमहंत ज्ञानानंद गिरि महाराज व ब्रह्मलीन श्रीमहंत स्वामी विष्णुदेवानंद गिरि महाराज की मूर्तियों को अनावरण किया गया। मूर्तियों का अनावरण महामण्डलेश्वर स्वामी सोमश्वरानंद गिरि महाराज व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज व अन्य संतों ने किया।
इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी सोमेश्वरानंद गिरि महाराज ने कहाकि गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है। जो व्यक्ति गुरु की शरण में आकर सत्य के मार्ग का अनुसरण कर लेता है उसका उद्धार हो जाता है।

श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने कहाकि आश्रय प्रदान करने वाले स्थान को ही आश्रम कहा जाता है। हरिद्वार आश्रमों की नगरी है, यहां तो सभी को आश्रय मिलता है। उन्होंने कहाकि गुरु घर में आश्रय मिलना बड़े सौभाग्य की बात होती है। कहाकि गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है। ज्ञान तभी प्राप्त होता है जब व्यक्ति में चेतना जागृत होती है और चेतना के जागृत होने पर ही परमात्मा विष्णु की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहाकि श्री चेतनानंद आश्रम की परम्परा इसी चेतना, ज्ञान और परमात्मा विष्णु की प्राप्ति वाली रही है। क्यों की आश्रम के संस्थापक स्वामी चेतनानंद गिरि महाराज थे। जिन्होंने चेतना जागृत करने का कार्य किया। उनके बाद उनके शिष्य ज्ञानानंद गिरि बने, जिन्होंने ज्ञान का प्रकाश फैलाया और उनके बाद स्वामी विष्णुदेवानंद गिरि महाराज ने आश्रम की गद्दी संभालकर भक्तों का कल्याण किया। उन्होंने कहाकि स्वामी विष्णुदेवानंद का स्वभाव नारियल के समान था। कहाकि जिस प्रकार से नारियल ऊपर से कठोर और अंदर से कोमल होता है ठीक उसी प्रकार से स्वामी विष्णुदेवानंद महाराज थे।

म.म. स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहाकि गुरु की महिला अपरम्पार है। गुरु रंक को राजा और मूढ़ का ज्ञानी बना देता है। श्रद्धाजलि सभा का संचालन रविदेव शास्त्री ने किया।
आश्रम के परमाध्यक्ष श्रीमहंत रामानंद गिरि महाराज व स्वामी कृष्णानंद महाराज ने कार्यक्रम में पधारे सभी महानुभावों का आभार व्यक्त करते हुए गुरु के बताए मार्ग का अनुसरण करने और उनके कार्यों को पूरा करने के संकल्प को दोहराया।
इस अवसर पर स्वमी राजराजेश्वराश्रम महाराज, महामण्डलेश्वर हरिचेतनानंद, म.म. विवेकानंद गिरि, श्रीमहंत देवानंद सरस्वती ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर स्वामी योगेन्द्रानंद शास्त्री, रविदेव शास्त्री, स्वामी विश्वस्वरूपानंद गिरि, स्वामी आनन्द पुरी, सुरेशानंद गिरि, किशन पुरी, चरण दास त्यागी, संगम पुरी समेत देश के कई राज्यों से आए सैंकड़ों श्रद्धालु व संतजन मौजूद रहे।


