निरंजनी अखाड़े में नियम कानून ताक पर, दादागिरि का राज

मढि़यों के महंत बनाने में दादागिरि करने का संतों ने लगाया आरोप


प्रयागराज।
तपोनिधि श्री निरंजनी अखाड़ा पंचायती के नाम से पहचाना जाने वाला आज का पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में से बहुत अच्छा हुआ जो तपोनिधि हट गया है। नहीं तो आज बहुत दुख होता दुख इस बात का है कि जो पंचायती शब्द लगाया गया उसे पंचायती का कोई महत्व नहीं है। आज पूरे अखाड़े को एक ही आदमी चला रहा है। वह जिसे चाहता है उसे महंत बना देता है, जिसे चाहता है उसे कारोबारी बना देता है। जिसे चाहता है उसे हटा देता है। यही घटना आज निरंजनी अखाड़े में कई मढियों में बनी है जैसे दरियाव मढी में।


अखाड़ा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मढ़ी के सारे महात्मा एक तरफ होते हुए भी सुखदेव पुरी को अपनी मनमर्जी करते हुए हटा दिया गया और प्रकाश पुरी को महंत बना दिया गया।


नाम न छापने की शर्त पर अखाड़ा संतं के मुताबिक जिस संत को महंत बनाया गया है उसका अपनी ही मढ़ी के संतों के साथ व्यवहार ठीक नहीं है। सूत्रों की मानें तो इतना ही नहीं नरसिंह मढ़ी में भी पुराने सारे महात्मा को छोड़कर कल के महात्मा को महंत बनाया दिया गया। जो वरिष्ठ संतों का अपमान है।


सूत्र बताते हैं कि सत्ता का दुरुपयोग करते हुए महंत धर्मराज भारती ने अपने करीब 20 वर्ष के संत को महंत बना दिया और जो 40 साल से अखाड़े में महात्मा हैं उनको छोड़ दिया गया। बताते हैं कि जो 6 साल करोबारी रहा उसको भी हटा दिया गया।


सूत्रों के मुताबिक मढ़ी मनमुकुंद में पुराने महात्मा को छोड़कर पैसे के लालच में गांजा पीने वाले को जिसको मढी का ज्ञान नहीं है उनको कारोबारी बना दिया गया। सिर्फ इसलिए की महंत अजय भारती जिन्होंने आज तक पूरी मढ़ी को खाली कर दिया है और बंगाल ले जाकर के स्कूलों में रुपया लगा दिया और परिवार पाल रहा है। यह सब इसलिए किया गया कि नए से रुपया लिया जा सकेे। वही हाल गादी मढ़ी का भी है।

वही हाल बैकुंटी मढ़ी में भी हुआ। सूत्रों कंे मुताबिक कुल मिलाकर प्रत्येक मढि़यों में जो हुआ वही पूरे निरंजनी अखाड़े का हाल है। वहीं ऐसे व्यक्ति को भी छोटी उम्र में महंत बना दिया गया जिसके चरित्र पर कई बार सवाल खड़े हो चुके हैं और उसकी कारगुजारियों के उसके चर्चे आम हैं।

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