हरिद्वार। तीर्थनगरी हरिद्वार, जिसने अनेक तपस्वी संतों को दिया है। जिनके तप की ख्याति आज तक दूर-दूर तक फैली हुई है। किन्तु वर्तमान में ऐसे भी भगवाधारी तीर्थनगरी में मौजूद हैं जिनका छल, कपट, पाखंड और धोखाधाड़ी दूर-दूर तक विख्यात हो रही है। ऐसे छलिया संत अब तीर्थनगरी की शोभा बढ़ा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक हरिद्वार के एक संत को प्रधानमंत्री का पीए बताकर रौब दिखाने और वीवीआईपी सुविधाएं मागने के चक्कर में हवालात तक ही हवा खानी पड़ी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक घटना 13 जुलाई 2010 की है। जब हरिद्वार का एक वरिष्ठ संत वैष्णों देवी की यात्रा पर गया।
इसके बाद प्रधानमंत्री का सलाहकार बताने वाले व्यक्ति के 13 जुलाई के दौरे की उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी गई थी। प्राप्त जानकारी के आधार पर उस व्यक्ति के खिलाफ एक मामला दर्ज किया जाना था।
इस संबंध में मोहाली पुलिस ने प्रधानमंत्री के नाम वाले व्यक्ति को अति विशिष्ट सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई। बहरहाल बाद में उसको जम्मू एवं कश्मीर में पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
पंजाब के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) सुरक्षा ने पुलिस महानिरीक्षक स्तर के एक अधिकारी को उन घटनाओं की जांच करने को कहा था जिनके कारण पुलिस ने एक व्यक्ति को सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराई। मोहाली के पुलिस अधीक्षक गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा था कि हमने एडीजीपी को बताया कि हमें एक फैक्स संदेश मिला था। इसमें प्रधानमंत्री के सलाहकार को दौरे के दौरान सुरक्षा उपलब्ध कराने को कहा गया था। जांच के आधार पर हम धोखेबाज व्यक्ति के खिलाफ एक मामला दर्ज कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री के फर्जी सलाहकार को 13 जुलाई को जम्मू एवं कश्मीर के कटरा कस्बे में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। संदेहजनक व्यवहार के कारण गिरफ्तार किए जाने से पहले उसने वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन के लिए राज्य सरकार की सुरक्षा और सेवाओं का उपयोग किया था। बाद में मामले को रफा दफा कर दिया गया। बड़ा सवाल यह है कि जब इस यह मामला दो राज्यों के बड़े पुलिस अधिकारियों के संज्ञान में आया और जांच के आदेश भी दे दिए गए, उसके बाद धोखेबाज संत कैसे बच निकला।
सूत्र बताते हैं कि संत की फर्जीवाड़े की यह आदत अभी तक गयी नहीं है। अब भी संत लोगों को अपने पाश में फांसकर धन, सम्पत्ति ऐंठने का कार्य कर रहा है।