न्यू देवभूमि हॉस्पिटल में ब्लेडर मास का हुआ सफल आप्रेशन, मरीज को मिला नया जीवन

हरिद्वार। न्यू देवभूमि हॉस्पिटल में ब्लेडर मास अर्थात पेशाब की थैली में कैंसर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे 56 वर्षीय रईसुददीन का सफल आप्रेशन किया गया। चिकित्सकों ने यह आप्रेशन तब किया तब मरीज दिल की गंभीर बीमारी से भी पीडि़त पाया गया। यूरोलोजिस्ट डॉ अश्वनी कंडारी, डॉ ऋषभ दीक्षित और डॉ सुशील कुरील ने करीब 45 मिनट तक आप्रेशन थियेटर में वाईपोलर टयूआरवीटी की तकनीक से आप्रेशन को सफल बनाकर मरीज को नया जीवनदान दिया। आप्रेशन सफल होने की जानकारी मिलते ही मरीज और उनके परिवार जनों के चेहरे की खुशी का अंदाजा नही रहा।


यूपी के बिजनौर नजीबाबाद निवासी रईसुददीन ने बताया कि वह पेशाब की थैली में कैंसर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। जब फिटनेस टेस्ट कराया तो हार्ट में ब्लाकेज का पता चला। हार्ट की ईसीजी और ईको में समस्या दिखाई दी। जिसके बाद एंजियोग्राफी कराई तो पता चला कि तीन नसें ब्लॉक पाई गई। चिकित्सकों ने बाईपास कराने की सलाह दी। इसी के साथ पेशाब की थैली का आप्रेशन करना संभव नहीं है। ऐसी तमाम जानकारी होने पर हरिद्वार के दूसरे निजी हॉस्पिटल में दिखाया लेकिन चिकित्सकों ने आप्रेशन करने से इंकार कर दिया। जिंदगी से निराश और परेशान रईसुददीन ने ऋषिकेश एम्स में जाना बेहतर समझा और वहां के चिकित्सकों के पास पहुंचे। लेकिन एम्स के चिकित्सकों ने भी निराश किया और आप्रेशन करने से इंकार कर दिया।
रईसुददीन ने बताया कि वह अपनी बीमारी से काफी निराश हो चुके थे। तभी उनके परिघ्ति ने हरिद्वार के न्यू देवभूमि हॉस्पिटल में जाकर डॉ सुशील शर्मा से मिलने की सलाह दी। हरिद्वार के न्यू देवभूमि हॉस्पिटल में 7 मार्च की सुबह डॉ सुशील शर्मा से मिला और अपनी तमाम जांच बौर बीमारी के संबंध में बताया। डॉ सुशील शर्मा ने मेरा हौसला बढ़ाया और कहा कि आप्रेशन करेंगे औरी स्वस्थ करके घर भेजेंगे। डॉ सुशील शर्मा की यह बात सुनने के बाद मन में खुशी तो हुई, लेकिन घबराहट और बैचेनी बढ़ गई। डॉ सुशील शर्मा ने ढ़ाढस बंधाया।


आप्रेशन टीम का हिस्सा रहे देवभूमि के चिकित्सक डॉ ऋषभ दीक्षित ने बताया कि मरीज की तीन नसे ब्लॉक थी। लेकिन कोई एक्टिव दर्द छाती में नहीं था। एक्टिव दर्द नहीं होने के कारण मरीज को सबसे बड़ी समस्या पेशाब में खून आने से हो रही थी। जबकि पेशाब की थैली में टयूमर था। मरीज को काफी परेशानी हो रही थी। हाई रिस्क आप्रेशन करने की जिम्मेदारी यूरोलोजिस्ट डॉ अश्वनी कंडारी और मैंने संभाली जबकि डॉ सुशील कुरील ने एनेस्थिीसिया देकर मरीज को बेहोश करने में अहम भूमिका निभाई। आप्रेशन सफल रहा और मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो गया है। 24 घंटे आईसीयू में रखने के बाद वार्ड में शिफ्ट कर दिया है।


ब्लेडर मास का आपरेशन आमतौर पर ब्लेडर कैंसर के इलाज में किया जाता है। ब्लेडर कैंसर के मुख्य इलाज के रूप में अक्सर अपरेशन की जाती है, लेकिन इसका चयन इस बीमारी के उपाय की गंभीरता और बीमारी के चरण के आधार पर किया जाता है।


ब्लेडर मास का आपरेशन कई तरह के हो सकते हैं, जैसे कि पूरा या अंशिक ब्लेडर निकाल लेना (सिस्टेक्टोमी), ब्लेडर को अंग्रेजी में निकाल लेना (इनट्राक्टोटिक ब्लेडरेक्टोमी), या फिर ब्लेडर को स्तंभ के रूप में बनाए रखना और कैंसर को हटाने के लिए रेडियोथेरेपी या केमोथेरेपी का उपयोग करना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *