श्रीकृष्ण जन्म सत्य और न्याय की विजय का प्रतीक: नर्मदाशंकर

हरिद्वार। आशुतोष भगवान शिव की ससुराल कनखल स्थित श्री यंत्र मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी नर्मदाशंकर पुरी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग सुनाया। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म पर कथा स्थल पर उत्सव का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने जमकर मंगल गीत गाए व जन्म का उत्सव मनाया।
कथा व्यास नर्मदा शंकर पुरी महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्म केवल ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि धर्म और अधर्म के बीच संघर्ष में सत्य और न्याय की विजय का प्रतीक है। जब-जब धरती पर पाप और अधर्म का भार बढ़ता है, तब-तब भगवान अवतार लेकर भक्तों की रक्षा करते हैं और दुष्टों का संहार करते हैं।


बताया कि श्रीकृष्ण का जन्म संदेश देता है कि हमें अपने जीवन में सदैव धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। विपरीत परिस्थितियों में भी ईश्वर पर अटूट विश्वास बनाए रखना चाहिए। कृष्ण जन्मोत्सव हमें यह भी प्रेरणा देता है कि जैसे कारागार की घोर अंधकारमय रात में भगवान का जन्म हुआ। वैसे ही हर कठिनाई के बाद आशा और प्रकाश का नया मार्ग खुलता है।


कथा पंडाल में नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की जैसे भजन और जयकारों से वातावरण गूंज उठा। महिलाओं ने मटकी सजाकर झूमते हुए भक्ति नृत्य किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को माखन-मिश्री का प्रसाद वितरण भी किया गया। उन्होंने कहाकि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने और जीवन को सही दिशा देने का साधन है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि कथा से मिले संदेशों को जीवन में उतारकर समाज को और बेहतर बनाने में योगदान दें।


कथा व्यास ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता बतायी। कथा व्यास ने कहा कि जीवन में अच्छे रास्ते पर जाना है, तो संकल्प लेना जरूरी है। हर बच्चे को अपने माता-पिता व गुरू की बातों को मानना चाहिए। जिन बच्चों के उपर माता-पिता का आशीर्वाद है, उन्हें संसार में सब कुछ प्राप्त है। हर एक माता-पिता को चाहिए कि अपने साथ बच्चों को भागवत कथा, सत्संग, कीर्तन में जरूर साथ लाएं। धर्म की कथा सुनने से बच्चों में अच्छे संस्कार आते हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तों, संतों ने कथा का रसपान किया।

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