नरेन्द्र गिरि मौत मामलाः- सीबीआई जांचः वही होगा जो सरकार और संत चाहेंगे

मांग के बाद महंत मोहनदास मामले की सीबीआई जांच कराने से संतों ने कर दिया था इंकार
हरिद्वार।
बाघम्बरी गद्दी के श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि की रहस्मयी मौत के बाद यूपी एसआईटी के साथ सीबीआई को भी जांच का जिम्मा सौंप दिए जाने के बाद सीबीआई भी सक्रिय हो गयी है। सीबीआई की तीन टीमें नरेन्द्र गिरि की मौत के मामले की जांच में जुट चुकी हैं। नरेन्द्र गिरि की हत्या की गयी या फिर नरेन्द्र गिरि को हत्या के लिए प्रेरित किया गया या उन्होंने अपनी इज्जत बचाने के लिए आत्महत्या जैसा कदम उठाया यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
इसके साथ ही आम चर्चा है कि क्या सीबीआई या एसआईटी नरेन्द्र गिरि की मौत से पर्दा उठा पाएंगे। जिसके संबंध में लोगों की दोनों ही राय निकलकर सामने आ रही हैं। कुछ का मानना है कि जांच में सत्य सामने आएगा, जबकि कुछ का मानना है कि जांच में सच तो सामने आएगा। किन्तु वह सबके सामने उजागर नहीं होगा। कारण की यदि जांच सही प्रकार से और राजनैतिक ईमानदारी के साथ की जाए तो कई बड़े चेहरे इस मामले में लपेटे में आ सकते हैं। इसके साथ ही इस जांच में आशीष गिरि की मौत का जिन्न भी दोबारा बाहर आ सकता है।
उधर जांच आरम्भ होने से पूर्व से ही निरंजनी अखाड़े के संत नरेन्द्र गिरि के पत्र को सिरे से खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि महाराज खिलना ही नहीं जानते थे, यह पत्र उनका है ही नहीं। इस एक बात में उन्होंने जहां बलवीर पुरी को उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया वहीं अप्रत्यक्ष रूप से आनन्द गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को भी बचाने का प्रयास किया। यह बात तो स्पष्ट है कि कोई ऐसा बड़ा राज था जिसके उजागर होने के भय से तथा अपनी फजीहत होने से बचाने के लिए नरेन्द्र गिरि ने ऐसा भयावह कदम उठाया। लोगों का मानना है कि सीबीआई मौत के इस रहस्य से पर्दा उठा सकती है, किन्तु अंत में जांच की सत्यता के उजागर होने पर संदेह है। कारण की निष्पक्ष जांच होने पर कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। कुछ को छोड़ दें तो ऐसा संत समाज भी नहीं चाहेगा और न ही राजनेता चाहेंगे की कटु सत्य उजागर हो। इसका उदाहरण पूर्व में श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन कनखल में देखने को मिल चुका है। जब बड़ा उदासीन अखाड़े के कोठारी महंत मोहन दास महाराज लापता हुए थे तो संत समाज ने अपना जबरदस्त आक्रोश पुलिस व सरकार के खिलाफ व्यक्त किया, किन्तु जब सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की बात कही तो अखाड़े के संतों ने ही सीबीआई जांच से इंकार कर दिया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्यों सरकार की सीबीआई जांच की बात को संतों ने इंकार कर दिया। ऐसा ही नरेन्द्र गिरि के मामले में भी हो सकता है। यहां अंतर सिर्फ इतना है कि इस मामले में यूपी एसआईटी व सीबीआई को जांच सौंपी जा चुकी है। किन्तु परिणाम वहीं आएगा जो सरकार और कुछ संत चाहेंगे।

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