यति नरसिंहानंद गिरि ने लोकसभा चुनाव से पूर्व अपनी हत्या की जतायी आशंका

अपनी हत्या के डर से मैदान नहीं छोडूंगाः यति नरसिंहानंद


हरिद्वार।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने कहाकि मेरी हत्या की साजिश रची जा रही है और हत्या के डर से मैं मैदान छोउ़ने वाला नहीं हूं। शनिवार को यहां माया देवी मंदिर में माँ के दर्शन करके अंतिम बलिदान के लिये तैयार हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर गुप्तचर एजेंसियों द्वारा एक गुप्त सर्वे हुआ है कि किस हिंदूवादी चेहरे की हत्या से हिन्दू समाज में सबसे ज्यादा भय व्याप्त होगा। ऐसे चेहरों में 4 नाम सबसे प्रमुखता से आये हैं। इन चेहरों में सबसे पहला नाम है बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री, दूसरा नाम है महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी, तीसरा पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद व चौथा नाम है डॉ प्रवीण भाई तोगडि़या का। बताया कि इनमें बाद के दो नाम काफी सोच विचार के बाद निकाल दिए गए हैं। अब 2 नाम धीरेन्द्र शास्त्री और महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी का बचे हैं।


इसमें भी धीरेन्द्र शास्त्री जी ने हिन्दू राष्ट्र की बात तो की है, पर उन्होंने इस्लाम के बारे में कभी भी कुछ ऐसा नहीं बोला है जिससे कि कोई दूसरा समुदाय उनकी हत्या करने पर उतारू हो जाये। यहां तक कि उन्होनें कई बार मीडिया मंचों से मुस्लिम समुदाय से अपने अच्छे रिश्तों के बारे में बताया है। वैसे भी उनकी छवि एक सज्जन धर्मपुरुष की है। इसके विपरीत महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी सम्पूर्ण विश्व के कुछ उन मुट्ठी भर लोगों में से हैं जो इस्लाम और इस्लाम के संस्थापक मोहम्मद पर खुलकर अपने विचार रखते हैं। मुस्लिम जिहादी संगठन हर कीमत पर उनकी हत्या करना चाहते हैं।


उन्होंने बताया कि सिक्ख गुरुओं के प्रति उनकी निष्ठा प्रश्नों से परे हैं। ऐसे में कई खालिस्तान समर्थक गुट भी उनकी हत्या करना चाहते हैं। बताया कि श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े का महामंडलेश्वर होने और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मजबूत किसान बिरादरियों के समर्थन के वे कारण नरसिंहानंद गिरि को सनातन धर्म का सबसे निर्भीक और मजबूत सन्यासी माना जाता है। ऐसे में उनकी हत्या से सारे हिन्दू समाज में भय व्याप्त होना स्वाभाविक है। इस तरह से उनका नम्बर सबसे पहले है और उनकी हत्या लोकसभा चुनाव से पहले कर दी जाएगी। बताया कि यह जानकारी अत्यंत विश्वस्त सूत्रों के द्वारा उनको दी गयी है।


इस बारे में अपने गुरु व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरी जी महाराज को अवगत कराने और उनका आशीर्वाद लेने के लिये ही महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी हरिद्वार आये थे, पर वे नहीं मिल पाए। माया देवी मंदिर में माँ के दर्शन करके महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने अपना संकल्प दोहराया कि मृत्यु के डर से वो मैदान नहीं छोड़ेंगे। उनकी मौत का समय तय है। अगर यह निकट है तो वो अपने जीवन का एक-एक क्षण अब सनातन धर्म की रक्षा के प्रयास में लगाएंगे। अब उनका पहला लक्ष्य सनातनियों अर्थात हिन्दू, सिक्ख, जैन, बौद्ध और आर्य समाजियों में एकता का प्रयास करना है। इसके साथ ही वो सारे विश्व के गैर मुस्लिमों को भी साथ लाने का भरसक प्रयास करेंगे। उन्होने कहाकि बंद कमरों में कैद होकर कीड़े-मकोड़ांे की मौत मरने से लाख गुना बेहतर है की मैदान में उतरकर वीरगति को प्राप्त करना और वो ये ही करेंगे।

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