सुरेश चव्हाण के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन में भाग लेने दिल्ली के जंतर मंतर पर जा रहे शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर और श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी को पुलिस से उनके साथी साधु संतों के साथ रोक लिया और उन्हें तीन दिन के लिये मन्दिर में ही नजरबंद कर दिया।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी को रोकने के लिये रात से ही दिल्ली पुलिस और गाजियाबाद पुलिस के अधिकारियों ने शिवशक्ति धाम डासना में डेरा डाल दिया था। पुलिस अधिकारियों ने पहले महामंडलेश्वर को समझाने की कोशिश की, परन्तु जब वो नहीं माने तो अधिकारियों ने सबको जेल में डालने की धमकी दी। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने इसके बाद भी दिल्ली जाने का फैसला नहीं बदला तो एसीपी रवि कुमार और अन्य पुलिस अधिकारी साधुआंे की गाड़ी के सामने खड़े हो गए। तब महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी को मजबूरन गाड़ी से उतरना पड़ा और तब अधिकारियों ने उन्हें तीन दिन के लिये शिवशक्ति धाम डासना में ही नजरबंदी का आदेश सुना दिया।
इस पूरे प्रकरण को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा कि इस देश मंे अब हिन्दूआंे से आत्मरक्षा और न्याय के लिये आवाज उठाने का अधिकार छीन चुका है। अगर हिन्दू सन्यासियों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भी जाने से रोका जाएगा तो हिन्दू समाज का मनोबल टूटना तय है और इससे इस्लामिक जिहादियों का हौसला बहुत बढेगा। यह स्थिति ना तो हिन्दू समाज के लिये अच्छी है और न ही मानवता के लिये।
उन्होंने सम्पूर्ण हिन्दू समाज से एकजुट होकर इस अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने का आह्वान किया। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी के साथ दिल्ली जाने वालों में कार्षि्ण स्वामी अमृतानंद,स्वामी कृष्णानंद गिरी, यति सत्यदेवानंद, यति कृष्णानंद, यति रामस्वरूपानंद तथा अन्य संत उपस्थित थे।