शिवशक्ति धाम डासना बना छावनी, यति नरसिंहानंद गिरी को सुप्रीम कोर्ट जाने से रोका

इस्लामिक जिहाद के विरुद्ध व बैकुंठ लाल शर्मा, प्रेम सिंह शेर की जयंती पर होने वाली धर्म संसद को इस्लामिक जिहादियों ने पुलिस, प्रशासन,राजनेता और सर्वोच्च न्यायालय के साथ गठजोड़ करके रोक दिया।


प्रेस को जारी बयान में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कहाकि 2013 देवबंद से इस्लामिक जिहाद के विरुद्ध होने वाली धर्म संसद हमेशा ही इस्लामिक जिहादियों और राजनेताओं की आंखों में चुभती रही, परन्तु फिर भी देश के कोने-कोने में यति नरसिंहानंद गिरी धर्म संसद आयोजित करते रहे। पहली धर्म संसद के लिये अखिलेश यादव सरकार ने उन्हें जेल में भी डाला था परंतु अखिलेश यादव सरकार धर्म संसद को नहीं रोक पाई। उसके बाद उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश,हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र में धर्म संसद आयोजित की जाती रही। सब सरकारों ने इस आयोजन को रोकने की कोशिश की परन्तु महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी की जिद और जिजीविषा के चलते कोई धर्म संसद को रोक नहीं पाया। गत वर्ष हरिद्वार में धर्म संसद करने के बाद महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी और जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को जेल भी जाना पड़ा था। बार-बार जेल जाने के बाद भी महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी का हौसला टूटा नहीं और वो पूरे हौसले के साथ इस्लामिक जिहाद से अपनी लड़ाई में लगे रहे।


इस बार भी उन्होंने सब धमकियों और प्रताड़नाओं के बाद भी धर्म संसद करने की घोषणा की थी, परंतु इस बार पुलिस, प्रशासन, राजनेताओं और सुप्रीम कोर्ट की सहायता से इस्लामिक जिहादी अपनी योजनाओं में सफल हो गए और धर्म संसद अन्तोगत्वा रोक दी गयी।


महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने इस अन्याय और दमन के सांकेतिक विरोध के लिये उपवास करने दिल्ली सुप्रीम कोर्ट जा रहे थे, परंतु पुलिस ने उन्हें शिवशक्ति धाम डासना में ही नजरबंद कर दिया।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने इस पुलिस कार्यवाही को अन्याय पूर्ण बताते हुए कहा कि जो कार्य कोई भी हिन्दू विरोधी सरकार नहीं कर पाई वो कार्य आज हिन्दुओं की सरकार ने कर दिखाया। अब हिन्दू समाज का इस्लामिक जिहाद से बच पाना बहुत मुश्किल है। उन्होनें यह भी कहा कि हिन्दुओं की कायरता के कारण इस्लाम के जिहादियों की जीत तो हो गयी है, परंतु यह जीत क्षणिक है। अभी उनका संघर्ष समाप्त नहीं हुआ है। इस पूरे संघर्ष में अंतिम जीत सनातन की ही होगी।

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