विश्वविख्यात रामकथा व्याख्याता मोरारी बापू की धर्मपत्नी नर्मदा बा का मंगलवार को वट सावित्री के दिन रात्रि के समय निधन हो गया। साधु समाज की परंपरा के अनुसार, कैलाशवासी नर्मदाबेन को आज सुबह 9 बजे समाधि दी गई।
यहां उल्लेखनीय है कि साधु समाज में मृत्यु को मंगल अवसर माना जाता है, अतः मृत्यु का शोक मनाने के बजाय धून, भजन व कीर्तन गाते हुए मृतात्मा के पार्थिव शरीर को आरती, नगाड़े व शंख नाद एवं करतल ध्वनि के साथ महा आरती नाद के साथ समाधिस्थ के लिए परम विदाई मान दीया जाता है।
नर्मदा बा को भी हरे रामा रामा राम, सीताराम राम राम राम… के कीर्तन के साथ बापू के निवासस्थल कैलाश के परिसर में समाधि दी गई।
इस अवसर पर धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक व विभिन्न क्षेत्र के गणमान्य महानुभावों की उपस्थिति में एवं लोक साहित्यकार, विभिन्न क्षेत्र के विशारद कलाकार, कथाकार और कथा प्रेमी श्रोता व तलगाजरडा के ग्रामवासी के साथ, सभी अधिकारी-पदाधीकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने नर्मदा बा को श्रद्धासुमन अर्पित किए।