स्मरण शक्ति कमजोर होने पर व्यक्ति को लगता है, जैसे उसका दिमाग खाली हो। उसे प्रायः चक्कर आता है। एकाग्रता नष्ट हो जाती है। यह रोग उन लोगों को अधिक होता है जो दूध, दही, घी, मक्खन, अंकुरित अनाज, फल आदि पौष्टिक पदार्थों का सेवन बहुत कम मात्रा में करते हैं।
कारण
अत्यधिक मानसिक श्रम, पाचन क्रिया की गड़बड़ी, शारीरिक कमजोरी, मानसिक दुर्बलता, जन्म के समय दिमागी कमजोरी, अत्यधिक संभोग, लम्बी बीमारी एवं रक्तहीनता आदि कारणों से स्मरण शक्ति कम हो जाती है।
पहचान
इस रोग में देखा हुआ, सोचा हुआ तथा पढ़ा हुआ कुछ भी याद नहीं आता। काफी देर तक सोचने के बाद कुछ बातें याद आती हैं। व्यक्ति जो कुछ सोचता तथा करता है, उसको विश्वास नहीं हो पाता कि मैं ठीक कर रहा हूं या गलत।
नुस्खे
प्रतिदिन प्रातःकाल एक चम्मच आंवले का रस शहद के साथ चाटना चाहिए।
आंवला, गिलोय और जटामासी- सबको बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लेंद्य।फिर 2 ग्राम चूर्ण सुबह के समय ताजे पानी से सेवन करें।
सुबह दो चम्मच शहद गुनगुने पानी में मिलाकर पीना चाहिए।
तिल तथा शक्कर के लड्डू नित्य खाने से मानसिक शक्ति बढ़ती है।
सुबह-शाम दो-दो चम्मच सौंफ तथा मिश्री का चूर्ण सेवन करें।
खरबूजे के बीज तवे पर भूनकर चबा-चबाकर खाने से याददाश्त ठीक हो जाती है।
प्रतिदिन 5-6 काली मिर्चों का चूर्ण शहद या शक्कर से लेना चाहिए।
कद्दू की खीर खाने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है।
बादाम की दो गिरी तथा एक चम्मच सोंठ दूध में मिलाकर सेवन करें।
पीपल वृक्ष की छाल 5 ग्राम की मात्रा में कूट-पीसकर उतनी ही शक्कर या खांड़ मिलाकर सेवन करें। ऊपर से दूध पी लें।
गेहूं के लांक चबाने से स्मरण शक्ति ठीक हो जाती है। सात-आठ लांक (घास) का रस नित्य पिएं।
लीची का रस प्रतिदिन को चम्मच की मात्रा में सेवन करें।
सौंफ को पीसकर उसका चूर्ण दो चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सेवन करें।