देवानंद और हर्षानन्द को आश्रम से दूर कर दिया जाएः स्वामी शिवानंद

संत के बचाव में उतरा मातृ सदन, पुलिस प्रशासन को पत्र भेजकर की संत को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग
हरिद्वार।
आश्रम से जुड़े एक संत ने आश्रम के ट्रस्टियों से जान का खतरा बताते हुए मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने व्हाट्सएप के माध्यम से मैसेज भेजकर ट्रस्टियों पर उत्पीड़न करने और जान से मार देने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। मामले की जानकारी मिलते ही मातृ सदन संत के बचाव में उतर आया है। मातृ सदन के स्वामी शिवानंद ने पत्रकार वार्ता के साथ पुलिस प्रशासन को पत्र भेजकर ट्रस्टियों की भूमिका की जांच के साथ पीडि़त संत को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।


मातृ सदन आश्रम जगजीतपुर कनखल में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए स्वामी शिवानंद ने कहा कि उनके शिष्य ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद और ब्रह्मचारी दयानंद के मोबाइल पर मैसेज भेजकर मानव कल्याण आश्रम के महंत स्वामी दुर्गेशानंद महाराज ने आश्रम के ट्रस्टी देवानंद सरस्वती और उनके शिष्य हर्षानंद पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए अपनी जान को खतरा बताया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस प्रशासन से संत को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है। स्वामी शिवानंद ने कहा कि हम एक सजग प्रहरी के तौर पर कार्य करते हैं और साधुओं पर इस प्रकार का खतरा आना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। आश्रमों में इतने मर्डर हो रहे हैं। ऐसे में यह कोई ऐसी घटना नहीं है, जिसको नजरंदाज किया जा सके। उन्होंने कहा कि वे स्वामी देवानन्द और हर्षानंद को नहीं जानते नहीं और जानना भी नहीं चाहते, परन्तु ये यदि आश्रम के ट्रस्टी हैं तो यह भी सत्य है कि दुर्गेशानंद स्वामी कल्याण नंद के शिष्य हैं। उन्हीं के समय से वहां पर काम कर रहे हैं। इसमें तो कोई संदेह की बात नहीं है कि वे ही आश्रम के महंत हैं।

स्वामी शिवानंद ने कहा कि ट्रस्टी का काम महंत पर शासन करना नहीं होता है। आश्रम का संचालन महंत करेगा। ट्रस्टी केवल जब ट्रस्ट की मीटिंग होगी और वहां जो एजेंडा पास करेगा, उसी में ट्रस्टी का अधिकार है। जो कार्यकारिणी सदस्य हैं, वही काम करेंगे, और महंत कार्यकारिणी सदस्य होता है। आश्रम का संचालन का काम महंत का होता है। उन्होंने कहाकि अब क्या मामला है, क्या नहीं, यह मैं नहीं जानता, लेकिन यदि ऐसी कोई बात है तो देवानंद और हर्षानन्द को आश्रम से दूर कर दिया जाए। जब ट्रस्टी की मीटिंग हो तो आकर मीटिंग कर लें, और यदि वे किसी गलत गतिविधियों में पाया जाता है तो उन्हें ट्रस्ट से भी हटाया जाए। अगर उन्हें ट्रस्टी बनाया गया है तो आश्रम के हित के लिए बनाया गया है न कि उनके व्यक्तिगत हित के लिए बनाया गया है। उन्होंने इस मामले की शिकायत पुलिस से भी की है।

स्वामी शिवानंद ने कहा कि इन साधु-संतों से हम पुनः निवेदन करते हैं कि आप साधु संत हैं। त्याग करके साधु संत हुए हैं, तो यदि आपमें त्याग नहीं है तो कृपया साधुता को कलंकित नहीं कीजिये। सर्वप्रथम इन दोनों ट्रस्टियों को आश्रम से दूर कर दिया जाए, और यदि ऐसी कोई बात सत्यापित होती है, तो इनका ट्रस्टी पद जाए, यह जांच करना पुलिस का काम है। उन्होंने कहाकि एक तथाकथित धर्म की पार्टी, धर्म की संस्था बहुत से आश्रमों को कब्जाने में लगी है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इन लोगों में धर्म तो कुछ है नहीं, केवल धन का खेल है, इसलिए हमारा कर्वत्य बनता है कि हम पुलिस को सूचना दें और पुलिस का कर्तव्य बनता है कि पुलिस उन्हें सुरक्षा दे।

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