जीवन का सत्य जानो- मौत के बाद कहाँ जाना है? मुक्ति क्या है, जिसको एनलाइटनमेंट कहा ? अपनी ‘मैं’ को छोड़ो और तुम एनलाइटन हो जाओगे। ‘मैं’ छोड़ना ही मंत्र है, मूल मंत्र, सूत्र। ‘मैं’ हटते ही रिलैक्स आ जाएगा, शांति आ जाएगी, मौज आ जाएगी । जीवन का सत्य जाने बिना इस संसार से मुक्ति नहीं होगी, मर कर फिर यहीं लौटेंगे।
आज मौत आ जाए तो कहाँ जाएँगे? जिंदगी का ये सवाल बड़ा जरूरी होता है, हर रात यही सोचो- “साँस निकल गई, तो कहाँ जाऊँगा?” जिंदगी में तूने क्या पाया, उससे कोई वास्ता नहीं, कोई पूछने वाला नहीं है, परंतु जिंदगी को तू कितना जाना, तूने जिंदगी को कितना स्वीकार किया, वो कीमती है।
हम जिंदगी की कितनी भी पढ़ाईयाँ कर लें, कितने भी बुद्धिमान हैं, पर जीवन का ज्ञान ही नहीं हैकि “ये दिमाग कहाँ से आया जो मैं इतनी बड़ी पोस्ट पे लग गया, ये दिमाग कहाँ से आया जो इतना बड़ा बिजनेस चला रहा हूँ, कहाँ से खरीदा, कहाँ से आयात किया अपना दिमाग ?” अंदर की उस चेतना को जान, वो तू है। चाहे दुनिया की सारी दौलत-शोहरत पा ले, सबसे खूबसूरत हो जाय मरने के बाद अगर इस शरीर से तूने नाता रखा तो तू जनम-मरण में लौट आएगा। ग्रंथ कह रहे हैं, जिनको तू भगवान कहता है।
अंदर के जीवन को जानने के लिए ना तेरे पास पूरा वक्त होता है, ना तू जीवन में कहीं उसको पाना चाहता है जो मौत के बाद तेरा सच्चा साथी है स ये शरीर उस परमात्मा का ही बनाया हुआ है, तेरा नहीं है। अपना अहंकार छोड़ो और तुम ही भगवान हो।
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