अशोक रहना तेरा धर्म है, यानी न जन्म है, न मृत्यु है।” — श्रीमद्भगवद्गीता के इस दिव्य संदेश की प्रतिध्वनि आज निगमबोध घाट पर सुनाई दी, जहाँ जलती हुई चिता के सामने आयोजित की गई थी एक अनोखी सभा — ‘अशोक सभा’।
यह चिता थी भारती की — एक साधिका, एक शिष्या।
MAAsterG, जो पिछले 18 वर्षों से आध्यात्मिक जागृति, आत्मबोध और ‘आर्ट ऑफ डाइंग’ का संदेश जन-जन तक पहुँचा रहे हैं, ने इस अवसर पर कहा: ”न जन्म है, न मृत्यु — यह केवल चेतना की यात्रा है। मृत्यु को भी हम प्रसाद की तरह स्वीकार करते हैं, क्योंकि वह अंत नहीं, एक नई अवस्था की शुरुआत है।”
भारती, जो MAAsterG की समर्पित शिष्या थीं, बीते 11 दिन तक अस्पतालों में जीवन और मृत्यु के मध्य खड़ी रहीं। 70 प्रतिशत जलने के बावजूद, उनके भीतर से एक बार भी दर्द या चिल्लाहट की आवाज़ नहीं आई।
मुरादाबाद के एक अस्पताल से लेकर दिल्ली के AIIMS तक की यह यात्रा, केवल शारीरिक नहीं थी — यह एक साधना थी। वेंटिलेटर पर भी, उनके शरीर की गति जैसे नृत्य करती आत्मा की गवाही दे रही थी कि वह मृत्यु से नहीं, परब्रह्म की ओर प्रस्थान कर रही हैं।
यह केवल एक जीवन का अंत नहीं था — यह उस ज्ञान का सजीव प्रमाण था MAAsterG ने ‘आर्ट ऑफ डाइंग’ के माध्यम से जो ज्ञान दिया… उनके उस ज्ञान का सत्यापन हुआ।।
आज की अशोक सभा में यह अनुभव हुआ कि जब भय समाप्त हो जाता है , तो मृत्यु भी उत्सव बन जाता है ।
MAAsterG के बारे में
2007 में आत्मबोध की प्राप्ति के बाद, MAAsterG ने अपने अनुभवों को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया। पिछले 18 वर्षों में, उन्होंने लाखों लोगों को जीवन, मृत्यु और आत्मज्ञान का समन्वित दृष्टिकोण सिखाया है। उनका मिशन है — “Mission 800 करोड़”, यानी दुनिया के हर अंतिम व्यक्ति तक पहुँचकर उन्हें स्थायी आनंद और आंतरिक शांति का मार्ग दिखाना।
उनका संदेश है —
“रोज़ की एक वाणी रखे दुखों से दूर।”