मां मंशा देवी मंदिर विवाद अब पहुंचा पीएम व गृहमंत्री के दरबार में

हरिद्वार। मां मंशा देवी ट्रस्ट का विवाद दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जहां मामले में जांच जारी है। मुकद्में दर्ज हो चुके हैं साथ ही न्यायालय की अवमानना भी की जा रही है। इसके साथ ही अब इस मामले में वासु सिंह निवासी एसएल 171 शिवलोक कालोनी भभूतावाला बाग हरिद्वार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण व न्यायालय की कि जा रही अवहेलना के संबंध में कार्यवाही किए जाने के लिए अधिकारियों को निर्देशित करने की मांग की है।
पत्र में वासु सिंह ने कहाकि उच्च न्यायालय नैनीताल में जेपी बड़ोनी बनाम स्टेट ऑफ उत्तराखण्ड व अन्य के विरूद्ध दायर वाद में न्यायालय ने अपने 3 जनवरी 2012 को दिए आदेश में डीएम, एसएसपी हरिद्वार व श्री गंगा सभा मां मंशा देवी व मां चण्डी देवी में नामित सदस्य चले आ रहे हैं। किन्तु आज तक न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करवाया जा सका है।
पत्र में कहाकि वर्ष 1903 में वन विभाग ने एक चक करीब 4 एकड़ का मां मंशा देवी को दिया था। जिस पर कब्जा करते हुए महंतानी सरस्वती देवी ने उक्त भूमि को अपनी निजी सम्पत्ति बताते हुए चार लोगों के नाम एक वसीयतनामा किया। जबकि सरस्वती देवी को वसीयतनामा करने का कोई अधिकार नहीं था। उसी को आधार बनाकर 1972 में 13 लोगों का एक ट्रस्ट मां मंशा देवी के नाम से बनाया गया। कहाकि ट्रस्ट बनाने के बाद उसका नवीनीकरण नहीं कराया गया। जिस कारण से वह आज भी अपंजीकृत की श्रेणी में है। वासु सिंह ने कहाकि फर्जी ट्रस्ट बनाकर कुछ लोगों द्वारा मां मंशा देवी मंदिर ट्रस्ट के नाम पर करोड़ों रुपये का गबन किया जा रहा है। पत्र में कहाकि उक्त संबंध में डीएम व एसएसपी को कई बार शिकायती पत्र देने के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पायी है। इतना ही नहीं वर्ष 2012 में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों का भी आज तक अधिकारियों द्वारा पालन नहीं कराया गया है। उन्होंने वर्ष 1972 से वर्ष 2022 तक के स्पेशल आडिट कराने की मांग की है। जिससे गबन किए गए करोड़ों रुपयों का उपयोग गबन करने वालों से वसूल कर जनहित में किया जा सके। उन्होंने कहाकि वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण कर उससे अवैध किराया वसूली भी की जा रही है। जिसकी पुष्टि 2014 में हुए सीमांकन से भी हो चुकी है। उन्होंने वन विभाग की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को हटाने, न्यायालय के आदेशों का पालन कराने के लिए अधिकारियो ंको निर्देशित करने व गबन करने वालों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही किए जाने के लिए अधिकारियों को निर्देशित करने की मांग की है। पत्र की प्रति उन्होंने उत्तराखण्ड के पर्यावरण मंत्रालय, सविच उत्तराखण्ड शासन, प्रमुख वन संरक्षक आदि को भी प्रेषित की है।

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