जिला प्रशासन नहीं करवा पा रहा न्यायालय के आदेशों का पालन
हरिद्वार। मंशा देवी विवाद का न्यायालय के आदेश के 12 वर्षों बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया है। बावजूद इसके मामला दिन प्रतिदिन और उलझता जा रहा है। स्थिति स्पष्ट होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
विदित हो कि साध्वी सरस्वती देवी की वसीयत को आधार बनाते हुए वर्ष 1972 में मां मंशा देवी (Maa Mansa Davi )ट्रस्ट का गठन किया गया था। जिसमें 13 लोग शामिल थे। ट्रस्ट गठन के बाद से आज तक ट्रस्ट का नवीनीकरण नहीं कराया गया, जिस कारण से ट्रस्ट अपंजीकृत की श्रेणी में डाल दिया गया। जबकि ट्रस्ट में शामिल सभी लोगों की मृत्यु हो चुकी है। जिस कारण वर्तमान में मंशा देवी नाम से कोई ट्रस्ट नहीं है। वर्ष 2010 में ट्रस्ट को लेकर हुए विवाद के चलते उच्च न्यायालय नैनीताल ने दिनांक 3 जनवरी 2012 को ट्रस्ट में जिलाधिकारी हरिद्वार व एसएसपी हरिद्वार को (Maa Mansa Davi ) ट्रस्ट के संचालन के लिए नामित किया था। बावजूद इसके आज तक दोनों अधिकारियों को ट्रस्ट में शामिल नहीं किया गया। इसके साथ ही न्यायालय ने अपने आदेश में ट्रस्ट का समूचा लेखाजोखा प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे। वह भी आज तक न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। ऐसा कर न्यायालय के आदेशों की लगातार अवहेलना की जाती रही। वर्ष 2017 में शासकीय अधिवक्ता ने भी अपनी डीएम को सौंपी रिपोर्ट में न्यायालय की अवहेलना की बात कही थी, किन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। वहीं कई बार की जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि मंशा देवी (Maa Mansa Davi ) पर राजाजी नेशनल पार्क की 0.75 एकड जमीन पर अतिक्रमण किया हुआ है। बावजूद इसके कोई कार्यवाही नहीं की गयी। विगत चार दिन पूर्व शिकायत का संज्ञान लेते हुए एनजीटी द्वारा गठित टीम के सदस्यों ने मंशा देवी (Maa Mansa Davi ) का निरीक्षण किया और वहां अनियमितताएं पायीं। जबकि वन विभाग भी ट्रस्ट के पांच लोगों के खिलाफ रेंज कोर्ट का मामला दर्ज करवा चुका है। जो कि न्यायालय में विचाराधीन है। इतना सब स्पष्ट होने के बाद भी जांच पर जांच जारी है।
वहीं कथित रूप से मा मंशा देवी (Maa Mansa Davi ) के नाम से एक और ट्रस्ट बनाए जाने के बाद मामले ने फिर से तूल पकड़ा। नौ लोगों के खिलाफ मुकद्मा भी दर्ज किया गया, किन्तु दूसरा पक्ष कोई सुबूत नहीं दे पाया, जिससे यह साबित हो सके की वही मंशा देवी के मालिक हैं। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों को बुलाया, जहां दूसरा पक्ष कोई कागजात प्रस्तुत नहीं सका। जिन्हें कागजात प्रस्तुित करने के लिए समय दिया गया। वह समयसीमा पूरी होने के बाद भी कोई कागजात सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए गए। बावजूद इसके कागजात प्रस्तुत करने के लिए सिटी मजिस्ट्रेट के द्वारा और समय दिया गया है। इतना सब होने के बाद भी केवल जांच की जारी है। जबकि न्यायालय की अवमानना हुई है, हरिद्वार प्रशासन भी मान चुका है। 11 वर्षों बाद भी न्यायालय के आदेश का हरिद्वार प्रशासन पालन नहीं करवा पाया है। इतना ही नहीं जिलाधिकारी और एसएसपी को (Maa Mansa Davi ) ट्रस्ट में शामिल नहीं किया गया है। वहीं बिना अनुमति के मां मंशा देवी से होने वाली आय को खर्च करने की मनाही के कोर्ट के आदेश के बाद भी खर्च किया जा रहा है। मंशा देवी पर अतिक्रमण है यह जांच में स्पष्ट होने और वन विभाग की ओर से मुकद्मा दर्ज कराए जाने के बाद भी अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। इतना होने के बाद भी जांच जारी है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि मामला किस ओर तथा कितनी प्रगति पर है। जबकि आम आदमी के द्वारा अतिक्रमण करने पर पूरा प्रशासनिक अमला दलबल के साथ पहुंच जाता है। किन्तु यहां सब कुछ साफ होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।


