भगवान की हर लीला देती है नया संदेशः मनोज कृष्ण

रिद्वार। श्री तिलभाण्डेश्वर महादेव में मंदिर में 29वें वार्ष्ज्ञिक महोत्सव पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पांचवे दिन कथा व्यास पं. मनोज कृष्ण शास़्ी ने श्रीकृष्ण की बाललीला का मनोहारी वर्णन कर भ्ररव विभोर कर दिया। कथाव्यास ने कहाकि भगवान कृष्ण ने बाल रूप में अनेक लीलाएं की। इनकी हर लीला मानव जीवन को एक नया संदेश देती है।
उन्होंने कहाकि कृष्ण ने यमुना नदी में रहने वाले कालिया नाग को नाथ दिया। गोपियों के साथ भी लीला की। जब भगवान श्री कृष्ण बाल रूप में थे तभी मटकी से माखन चुरा लिया करते थे। और जब माता यशोदा कहती तब श्री कृष्ण भोलेपन से कहते मैया मै नहीं माखन खायो।
कथाव्यास पं. मनोज कृष्ण शास्त्री ने कहाकि कृष्ण के पैदा होने के बाद राजा कंस उनकी मृत्यु कराने के लिए अपने राज्य की बलशाली राक्षसी पूतना को गोकुल धाम भेजा। पूतना वेष बदलकर गोकुल धाम पहुंचती है और भगवान श्री कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है, परंतु जैसे ही भगवान कृष्ण पूतना का दूध पीते हैं तो पूतना की मौत हो जाती है। उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्ना करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। भगवान कृष्ण की यह बात सुनकर राजा इंद्र क्रोधित हो जाते हैं और अपने क्रोध के चलते गोकुल धाम में भारी वर्षा करते हैं, जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत के नीचे बुला लेते हैं, जिससे हारकर इंद्र एक सप्ताह के बाद बारिश को बंद कर देते हैं, जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाने लगते हैं। कथा के दौरान जैसे ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ तो समूचा पंडाल नंद के आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल की के जय घोष से गुंज उठा। कथा के विश्राम के बाद भगवान की आरती उतारी गयी और माखन-मिश्री का प्रसाद तिररित किया गया। इस अवसर पर वीरेन्द्र वत्स, अचला मल्होत्रा, हिमांशु चोपड़ा, सुन्दर सिंह मनवाल, नीरज चौधरी, सतीश शर्मा, अमित चावला, प्रवीन्द्र गोयल, जितन्द्र प्रसाद, अनिल ठाकुर आदि ने सहयोग किया।

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