हरीगिरि को अखाड़े से बर्खास्त करने की सुक्कड महेश गिरि महाराज ने की संतों से मांग
प्रयागराज। सिद्धों की स्थली गिरनार में जूना अखाड़े के संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि महाराज व दत्तात्रेय चरण पादुका तथा कमंडल कुंड के श्री महंत महेश गिरी महाराज के बीच उपजा विवाद दिन प्रतिदिन तूल पकड़ता जा रहा है। इस विवाद में श्रीमहंत महेश गिरी महाराज हरि गिरि महाराज पर हावी होते दिखाई दे रहे हैं, जिस कारण उन्होंने हरि गिरि महाराज पर गंभीर आरोप लगाते हुए सनातन संस्कृति व गिरनार की गरिमा को धूमिल करने का गंभीर आरोप लगाया है।
प्रेस वार्ता में महेश गिरी महाराज ने कहा कि हरि गिरि महाराज ने संतों की कई संपत्तियों पर कब्जा किया हुआ है तथा वे दुराचारी पर व्याभिचारी हैं। उन्होंने धर्म स्थलों की मर्यादा को ठेस पहुंचाने का भी हरि गिरि महाराज व उनके शिष्यों पर आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि किस प्रकार से सनातन परंपरा को हरी गिरी महाराज और उनके शिष्य नष्ट कर रहे हैं इसका जीता जागता उदाहरण महाशिवरात्रि पर्व पर भावनाथ मंदिर मंदिर में हरि गिरि महाराज के शिष्यों द्वारा मुजरा कराए जाने का मिला।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार विगत वर्ष शिवरात्रि महापर्व पर भावनाथ मंदिर में हरी गिरी के शिष्यों में मुजरा कराया और भारी भीड़ इकट्ठा की उससे अधिक शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता। यह सनातन संस्कृति की गरिमा को नीचा दिखाने तथा गिरनार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास है।
उन्हेंने कहा कि संतों के लिए जिन मनोरंजन के साधनों को वर्जित किया गया है, वहीं संत मुजरे का मजा ले रहे हैं, ऐसे लोग संत नहीं हो सकते।
उन्होंने अपने निष्कासन की खबरों को भी चैलेंज करते हुए कहा कि यदि हरि गिरि महाराज में हिम्मत है तो वह लिखित में उनका निष्कासन करके बताएं। यदि ऐसा होता है तो वह हरीगिरि महाराज का पूरा कच्चा चिट्ठा खोलना के साथ कोर्ट में इसको चलेंगे करेंगे।
उन्होंने अखाड़े के संतों से भी सनातन संस्कृति की मर्यादा को बचाए रखने के लिए हरी गिरी महाराज को अखाड़े से निष्कासित करने की मान की। उन्होंने कहा कि मर्यादा को कायम रखने की लड़ाई हर कीमत पर लड़ी जाएगी।