अपनी फांसी का फंदा दूसरो के गले में डाल गए महंत

हरिद्वार। बाघम्बरी मठ के श्री महंत व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद जिस प्रकार से जांच में परत-दर-परत नए-नए खुलासे हो रहे हैं, उसको देखते हुए कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।
श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि को लेकर यदि बात हरिद्वार की करें तो यहां नरेन्द्र गिरि ने बड़ा खेल खेला। शहर में चर्चा आम है कि जमीन की बिक्री का झांसा देकर महंत ने करोड़ों के व्यारे-न्यारे किए। सूत्रों के मुताबिक श्रवण नाथ मठ के श्रीमहंत लखनगिरि महाराज की मौत के बाद वीरभद्र मंदिर में दस चार मढ़ी की जमीन है। उस जमीन में विद्यालय भी चलता था। सूत्र बताते हैं कि उसी जमीन को बेचने का षडयंत्र चला था। इसी जमीन को बेचने का सौदा प्रापर्टी डीलरों से किया था। चर्चा के मुताबिक इस जमीन का सौदा 80 करोड़ में हुआ था। जिसकी पेशगी के तौर पर 40 करोड़ रुपये प्रापर्टी डीलरों के एक समूह ने दिए थे। प्रापर्टी डीलरों के इस समूह में एक स्थानीय नेता की भी 25 फीसदी की साइलेंट हिस्सेदारी थी। इसके अलावा हरिद्वार के एक व्यापारी से एक अन्य जमीन की बिक्री की एवज् में 8 करोड़, एक अन्य व्यापारी से साढ़े चार करोड़, सतीकुड के समीप एक अन्य जमीन के टुकड़े की एवज् में 50 लाख रुपये प्रापर्टी डीलरों से लिए थे। इस जमीन के चक्कर में सूत्र बताते हैं कि प्रापर्टी डीलर ने अपने पैसे या जमीन देने के लिए दो साल तक महंत के चक्कर लगाए, किन्तु अंत तब उसे निराशा ही हाथ लगी। इतना ही नहीं बहादराबाद मार्ग स्थित रामानंद इंस्टीट्यूट के अगले हिस्से की कई बीघा जमीन का भी सौदा किया जा चुका था। अखाड़े में कुछ महंतांे को इस बावत पता चलने पर महंत के इस फैसले का विरोध किया। जिस कारण से जमीन का सौदा तो निरस्त कर दिया गया, किन्तु जमीन के सौदे के लिए पेशगी के तौर पर ली गयी करोड़ों को टोकन मनी वापस नहीं की गयी।
सूत्र बताते हैं कि जमीन का सौदा महंत व्यक्ति की हैसियत देखकर किया करते थे। ये कुछ मामले शहर में चर्चा में आम हैं। इसके अतिरिक्त कुछ संत ऐसे भी हैं जिनसे साढ़े तीन करोड़ रुपये बतौर उधार महंत ने लिए थे। वहीं चर्चा है कि कुंभ में कुछ कथित संतों से चादरपोशी के नाम पर भी महंत ने दो करोड़ रुपये लिए थे। हरिद्वार में ही अपनी ठग विद्या से महंत ने करीब 70 से 80 करोड़ रुपयों की टोपी लोगों को पहनायी और अपनी फांसी का फंदा दूसरों के गले में डाल गए। अब हाल ऐसा है कि अपना सब कुछ गंवाने के बाद प्रापर्टी डीलर एसआईटी व सीबीआई की जांच के दायरे में आ चुके हैं। ये हाल उन महंतों का है जो दूसरों को मोह, माया से दूर रहने का उपदेश देते हैं और दूसरों को अखाड़ों की जमीन की आड़ लेकर स्वंय ठगने का कार्य करते हैं।

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