धर्म संसद को वैधानिक रूप देने के लिए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने की संतो से भेंट

सनातन के अस्तित्व को बचाने के लिए अखाड़ा परिषद से सहायता मांगने हरिद्वार आए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद
हरिद्वार। आज शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने हरिद्वार में वरिष्ठ संतो से मिलकर उनसे वर्तमान में हिन्दू दुर्दशा पर कुछ करने की गुहार लगाई। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज के साथ विश्व धर्म संसद की मुख्य संयोजक डॉ उदिता त्यागी, यति सत्यदेवानंद महाराज व यति अभयानंद महाराज भी थे।


उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने जो अति अपमानजनक टिप्पणी की है, उससे यह सिद्ध हो गया है कि भारत अब धर्मनिर्पेक्षता को पीछे छोड़ कर सनातन धर्म विरोधी राष्ट्र बन चुका है। इस विषय पर सभी राजनैतिक दलों की चुप्पी यह बता रही है कि हिन्दू अब राजनैतिक रूप से बिल्कुल अनाथ हो चुका है।

राजनैतिक दलों और नेताओं के अपने स्वार्थ है और उन्होंने हमेशा अपने स्वार्थों के लिए धर्म के साथ विश्वासघात किया है। परन्तु हम संत इस पर कैसे चुप रह सकते हैं? हम संत तो खाते ही भगवान विष्णु और महादेव शिव के नाम पर हैं। आज सभी संतों को एक बात समझ लेनी चाहिए कि यह धर्म के साथ विश्वासघात है।धर्म के साथ किए गए विश्वासघात को कोई भी भगवान क्षमा नहीं कर सकते।
उन्होंने मां गंगा के तट पर धर्म संसद को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया और इसके लिए सभी संतों और साधुओं से सहायता मांगने का भी संकल्प लिया।


हरिद्वार में महामंडलेश्वर नरसिंह आनंद गिरि महाराज ने कई संतों से उनके आश्रम में जाकर भेंट की। गंगा भजन आश्रम में महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी जी महाराज और महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद महाराज से भेंटवार्ता करके आगे की रणनीति तय की।
महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद महाराज ने उन्हें हर तरह के सहयोग का वचन दिया।

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