दोनों पक्षों को अपने समक्ष 23 अप्रैल को उपस्थित होने के दिए आदेश
हरिद्वार। मां मंशा देवी मंदिर ट्रस्ट का विवाद जैसे-जैसे गहराता जा रहा है वैसे-वैसे पुराने मामलों पर भी अब प्रशासन द्वारा संज्ञान लिया जाने लगा है। जिसके चलते विवाद उत्पन्न होने 11 वर्षों बाद प्रशासन को हाई कोर्ट के आदेश पर कार्यवाही का ध्यान आया है। जिसके चलते 23 अप्रैल को नगर मजिस्ट्रेट ने मंशा देवी ट्रस्ट व विवाद से जुड़े दोनों पक्षों को अपने समक्ष प्रस्तुत होने के ओदश दिए हैं।
बता दें कि वाद संख्या 02/2011 में सामाजिक कार्यकर्ता जेपी बड़ोनी ने स्टेट ऑफ उत्तराखण्ड के विरूद्ध उच्च न्यायालय नैनीताल में दायर किया था। जिसके संबंध में 3 जनवरी 2012 को न्यायालय ने आदेश पारित किया था, जिसके संबंध में अब नगर मजिस्ट्रेट ने पत्र देकर जेपी बड़ोनी, वासु सिंह व अनिल शर्मा को 23 अप्रैल को 11 बजे उनके समक्ष उपस्थित होने के आदेश दिए हैं।
ऐसे में बड़ा सवाल यह की उच्च न्यायालय द्वारा जो आदेश 3 जनवरी 2012 को पारित किए गए थे उस पर आज तक 11 वर्षों तक कोई संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। साथ ही न्यायालय ने जिलाधिकारी हरिद्वार व एसएसपी को सामाजिक कार्यकर्ता जेपी बड़ोनी बनाम स्टेट ऑफ उत्तराखण्ड के दायर बाद में मां मंशा देवी का प्रशासक नियुक्त किया था, किन्तु आज तक डीएम व एसएसपी को मंशा देवी न्यास में शामिल नहीं किया गया, जो की उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना है। वहीं सवाल उठता है कि कथित फर्जी ट्रस्ट के संबंध में तहरीर देने पर पुलिस ने तत्काल संज्ञान लिया और नौ लोगों के खिलाफ मुकद्मा कायम कर लिया, किन्तु वर्ष 2010 व वर्ष 2017 में जिन लोगों को न्यायालय की अवमानना का दोषी पाया गया, जिसकी रिपोर्ट स्वंय शासकीय अधिवक्ता ने जिलाधिकारी को दी थी, उनके विरूद्ध आज तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गयी। अब मां मंशा देवी ट्रस्ट विवाद तूल पकड़ने पर पुनः 11 वर्षांे बाद न्यायालय के आदेशों की याद आ गयी।


मां मशा देवी ट्रस्ट विवादः 11 वर्षों बाद नींद से जागा प्रशासन
