जानिए स्वास्थ्य के लिए कितनी हानिकारक है लिपिस्टिक

प्राचीनकाल से ही होठों में कृत्रिम और अतिरिक्त सुन्दरता लाने के लिए प्राकृतिक लाली लगाने का प्रचलन चला आ रहा है।
आजकल बनी बनाई लिपस्टिक, लिप-ग्लॉस, लिप-पैंसिल आदि का प्रयोग बढ़ता जा रहा है।
आज फिल्मों और सीरियल्स के बढ़ते असर से एक आम महिला भी लिपस्टिक का इस्तेमाल हमेशा करती है। जैसे कि वे स्वयं शो बिजनेस में हो। इसके हमेशा इस्तेमाल से होठों का रंग काला पड़ जाता है। लेकिन क्या आपकी लिपिस्टिक पूर्णतया सुरक्षित है.? कहीं आपके होठों की लाली सचमुच कातिलाना तो नहीं.?
कहीं आपकी लिपिस्टिक में सीसा या लेड तो नहीं है.?

लिपस्टिक जैसे कोस्मेटिक्स या सौंदर्य प्रसाधनों में पशु पक्षियों का रक्त भी मिलाया जाता है.?’
2007 में अमेरिका की केम्पेन फॉर सेफ कोस्मेटिक संस्था ने 33 विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियों की लिपिस्टिक्स की एक निष्पक्ष प्रयोगशाला में जाँच करवाई। नतीजे सचमुच चौंकाने वाले थे।
लगभग सभी कम्पनियों की लिपिस्टिक्स में काफी लेड पाया गया। जिनमें प्रमुख थी लॉरियल, कवरगर्ल (प्रोक्टर एण्ड गेम्बल) और 24 डालर की डायोर-एडिक्ट। एफडीए ने आश्वासन दिया था कि वह अपनी अलग जांच करवायेगी, पर उसने जल्दी ही अपने हाथ खींच लिए।
दो वर्ष तक उपभोक्ता और यूएस सेनेटर्स एफडीए पर दबाव बनाते रहे तब जाकर एफडीए ने 2009 में जांच करवाई और अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की। इनके भी सभी नमूनों में भारी मात्रा में लेड पाया गया। लेकिन अभी तक एफडीए ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैं। एफडीए ने अभी तक लिपिस्टिक में लेड की मात्रा को लेकर कोई मानक नहीं बनाये हैं, और न ही निर्माताओं को अपने उत्पादों पर लेड की मात्रा लिखने के संबन्ध में कोई नियम हैं। और इन घातक रसायनों की जांच करने के भी कोई नियम नहीं बने हैं।
अहमदाबाद की कंज्यूमर एजुकेशन एण्ड रिसर्च सोसाइटी ने भी भारत में लिपिस्टिक्स बनाने वाली 19 कंपनियों की 43 ब्राँड्स की जाँच करवाई और सभी में लेड पाया गया।
10 रुपये की लिपस्टिक में 2 से 17 पीपीएम और 100 रुपये से ज्यादा की लिपस्टिक में 11 से 23 पीपीएम लेड पाया गया।
सबसे ज्यादा लेड ’आइवोवी’-10 (25 पी.पी.एम.) और ’लक्मे डी’-414 (23 पी.पी.एम.) में पाया गया। ज्यादा देर चलने वाली लिपस्टिक में ज्यादा लेड पाया गया।

जानिये एक सरल तरीका जिससे आप तुरन्त पता लगा सकती हैं कि आपकी लिपस्टिकि में लेड है या नहीं..??’

बस थोड़ी सी लिपिस्टिक अपनी हथेली पर लगाइये और उस पर एक सोने की अंगूठी को कुछ देर तक रगडि़ये। यदि लिपिस्टिक काली पड़ने लगे तो समझ लीजिये कि आपकी लिपिस्टिक में लेड विद्यमान है। लेड के मामले में वैज्ञानिकों ने अभी तक कोई सुरक्षित मात्रा तय नहीं की है। यदि महिला दिन में कई बार और रोज लिपिस्टिक लगाती है तो लेड उनके शरीर में इकट्ठा होता रहता है। जो महिलायें नियमित लिपस्टिक लगाती हैं वे अपने जीवन में लगभग दो किलो लिपिस्टिक तो खा ही लेती हैं। लेड ’नाड़ी-तंत्र’ के लिए घातक विष है। लेड लड़कियों और स्त्रियों में शैक्षणिक क्षमता कम करता है, स्मृति कम करता है। आई.क्यू. लेवल कम करता है, चिढ़चिड़ापन बढ़ाता है और झगड़ालू प्रवृत्ति बढ़ाता है।
स्त्रियों में लेड से मासिक धर्म संबन्धी अनियमितताएँ, बाँझपन और गर्भपात होने की संभावना ज्यादा रहती है। लेड से पुरुषों में भी नपुंसकता, शुक्राणु-अल्पता, स्तंभन-दोष आदि रोग होते हैं।
लेड गर्भवती स्त्रियों और उनके शिशुओं के लिए बहुत नुकसानदायक है क्योंकि गर्भावस्था में यह आसानी से शिशु के रक्त-तंत्र में प्रवेश कर जाता है।
लेड वह खतरनाक रसायन है, जो शरीर में पहुंचकर रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है।
यदि स्थिति ज्यादा गम्भीर हो जाती है तो यह ’कैंसर’ जैसी गम्भीर बीमारी का रूप ले लेती है।

प्राकृतिक लाली

चार या पाँच ’गुलाब की पंखुडि़यों’ को अच्छी तरह मसल कर होठों पर दिन में दो या तीन बार लगाइये। आपके होठ मुलायम और गुलाबी हो जायेंगे।

गुलाब की पंखुडि़यों को अच्छी तरह मसल कर आप दूध की मलाई में मिला कर लिप क्रीम बना सकते हैं। इसे होठों पर बीस मिनट के लिए लगायें और पानी से धोलें, आपके होठों की सुन्दरता में चार चाँद लग जायेंगे।

इसी तरह आप होठों पर दिन में तीन-चार बार ’चुकन्दर का रस’ भी लगा सकते हैं और बीस मिनट बाद धो सकते हैं।
इससे आपके होठों को जादुई रंगत और सुन्दरता मिलेगी।

दही के मक्खन में केसर’ मिलाकर होंठों पर मलने से आपके होठ हमेशा गुलाबी रहेंगे।

आप अपने होठों पर ’जैतून या लौंग का तेल या घी’ भी लगा सकते हैं। इससे होंठ चमक उठेंगे और दिन भर आपको होठों पर लिपक्रीम लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। यह कटे-फटे होठों का भी बढि़या उपचार है।

होठों को मुलायम बनाने के लिए आप ’जैतून के तेल, नीबू का रस’ या ’शहद में चीनी’ मिला कर भी लगा सकते हैं।
नाभि में तेल लगाने से होठ मुलायम बने रहते है।

सच बता दिया, आगे आपके ऊपर निर्भर है..!!

Dr. (Vaid) Deepak Kumar*

*Adarsh Ayurvedic Pharmacy* 

*Kankhal Hardwar* *aapdeepak.hdr@gmail.com*

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