हरिद्वार। कनखल स्थित छतरी वाला कुंआ में हो रहे भू धसाव से आसपास की इमारतों के धराशायी होने का खतरा बढ़ गया है। पूर्व में भी भू धसाव हुआ था, किन्तु उस समय मामले में लीपापोती कर कार्य की इतिश्री कर दी गयी। अब फिर से वहीं खतरा उत्पन्न हो गया है। यदि भू धसाव इसी तरह जारी रहा तो आसपास की इमारतों के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि उपनगरी कनखल में प्राचीन छतरी वाला कुुआं है। जो वर्षों से बंद है, जिसका कोई उपयोग नहीं है। करीब तीन वर्ष पूर्व कुएं के आसपास भू धसाव शुरू हुआ था, जिस कारण सड़क तक में दरारें आ गयीं थी। मामले को तत्कालीन डीएम विनय शंकर पाण्डेय के संज्ञान में लाया गया। जिस पर कुंए की मरम्मत का कार्य किया गया, किन्तु मरम्मत के नाम पर मात्र लीपापोती की गयी। जिस कारण से पुनः भू धाव शुरू हो गया है। जिस ठेकेदार ने उस समय मरम्मत का कार्य किया उसने केवल दिखावा मात्र को लीपापोती की।
मरम्मत के बाद भी कुंए से सटी नाली का पानी फिर से कुंए की नींव में ही जाने लगा। जिस कारण से कुएं में एक बार फिर से धसवा की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। कुंए के धसाव के कारण आसपास की बनी इमारतों के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। दरारें पड़नी शुरू हो गयी हैं। यदि कुआं धस जाता है तो आसपास की इमारतें धराशायी हो जाएंगी और एक बड़ी त्रासदी होगी।
आसपास के लोगों का कहना है कि कुंए के पास को रहे भू धसाव को तत्काल मरम्मत करवाकर रोका जाए, जिससे भविष्य में होने वाली बड़ी त्रासदी को रोका जा सके।