मंशा देवी मंदिर विवादः साक्ष्य नहीं दे पाए तो दून दरबार में दी दस्तक! लौटे निराश होकर

हरिद्वार। मां मंशा देवी ट्रस्ट विवाद में अधिकारियांें की बैठकों का दौर जहां जारी है। वहीं मंदिर को बचाने के लिए कथित ट्रस्टी ऐडी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। बावजूद इसके मंदिर ट्रस्ट को लेकर सभी साक्ष्य कथित ट्रस्टियों के खिलाफ जाते दिख रहे हैं।


सूत्रांे के मुताबिक बुधवार को सिटी मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में मंदिर विवाद को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में बैठक हुई। जिसमें नगर निगम व वन विभाग के अधिकारी मौजूद रहे। जबकि व्यस्तता के कारण सीओ सिटी मौजूद नहीं रह पाए। सूत्र बताते हैं कि बीते रोज तक मंदिर को निजी सम्पत्ति बताने वाले कथित ट्रस्टी स्वामित्तव व मंदिर से संबंधित कोई भी दस्तावेज सिटी मजिस्ट्रेट के सम्मुख प्रस्तुत नहीं कर पाए। सूत्र बताते हैं कि जिस कारण से सभी साक्ष्य मंदिर पर अपना दावा करने वालों के खिलाफ जाते दिखायी दे रहे हैं।


वहीं सूत्रों के मुताबिक हाथ से जाती हुई मंदिर सम्पत्ति को बचाने के लिए कथित ट्रस्टी ऐडी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक विगत दिनों कथित ट्रस्ट से जुड़े कुछ लोगों ने सीएम के दरबार में हाजिरी लगायी। जिसमें मंदिर की भूमि उनके नाम हस्तांतरित करने की गुहार लगायी। इतना ही नहीं ऐसा ना होने पर मंदिर सरकार द्वारा अधिगृहित किए जाने की स्थिति में स्वंय को हिस्सेदार बनाने की बात भी कही गयी।

सूत्रों के मुताबिक व्यथा सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने हाजिरी लगाने गए लोगों को टका सा जवाब देते हुए कहाकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इस कारण से इस संबंध में वे कुछ भी नहीं कर सकते। जो भी कानून के दायरे में होगा वही किया जाएगा। सीएम का जवाब सुनने के बाद निराश होकर मंदिर के कथित मालिकों को लौटना पड़ा। बावजूद इसके उन्होंने अभी हार नहीं मानी है। साम, दाम, दंड़ व भेद वाली नीति पर अभी भी अमल जारी है। देखना दिलचस्प होगा की मंदिर विवाद का ऊंट किस करवट बैठता है।

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