काठा पीर मेले की तारीख बदलने पर बवाल, आस्था से खिलवाड़ का आरोप


पक्षकारों और श्रद्धालुओं ने जताया विरोध, एसडीएम ने दिए जांच के आदेश

विनोद धीमान

हरिद्वार। पथरी जंगल क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक काठा पीर दरगाह पर लगने वाले सदियों पुराने मेले की तारीख में बदलाव को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरगाह के खादिम, पक्षकारों और स्थानीय श्रद्धालुओं ने मेला ठेकेदार पर परंपराओं की अनदेखी करते हुए मनमर्जी से तारीख बदलने का आरोप लगाते हुए आस्था से खिलवाड़ की बात कही है।

पक्षकारों के अनुसार, काठा पीर दरगाह पर यह मेला पिछले 856 वर्षों से धार्मिक मान्यताओं और गृह नक्षत्रों के अनुसार आयोजित होता आ रहा है। प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां चादर और फूल चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं। परंतु इस बार मेला ठेकेदार ने कथित रूप से कुछ लोगों से सांठगांठ कर मेले की निर्धारित तिथि 9 जून को बदल कर आगे बढ़ा दी। इससे दरगाह से जुड़ी वर्षों पुरानी परंपरा टूटने का खतरा पैदा हो गया है।

दरगाह के खादिम फुरकान का कहना है कि यह सिर्फ तारीख बदलने का मामला नहीं है, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से सीधे जुड़ा विषय है। वहीं श्रद्धालु पुत्तन ने कहा कि प्रशासन को ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जो धर्मस्थलों की गरिमा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

पक्षकारों ने यह भी आरोप लगाया कि इस बार मेले में पुराने और अनुभवी दुकानदारों को दरकिनार कर मेला ठेकेदार ने अपने करीबी लोगों को दुकानें आवंटित की हैं, जो पूरी तरह से नियमविरुद्ध है। इससे न केवल पारंपरिक व्यापारियों को नुकसान हो रहा है, बल्कि मेले की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

इस पूरे मामले को लेकर एसडीएम लक्सर सौरभ असवाल ने कहा कि उन्हें मेले की तिथि बढ़ाने को लेकर कुछ लोगों द्वारा पत्र सौंपा गया था। यदि मेला आयोजन में नियमों का उल्लंघन हुआ है तो जांच कर दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

अब यह देखना अहम होगा कि क्या प्रशासन श्रद्धालुओं की भावनाओं को सम्मान देते हुए दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई करता है, या यह मामला भी अन्य विवादों की तरह समय के साथ दब जाएगा। मेले में हिंदू मुस्लिम सिख दोनों धर्म के लोग आते हैं और यह मेल 5 दिन चलता है।

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