संतों की लीलाः अधिकारी कोई और, कब्जा किसी और का, कब्जाने की जुगत में कोई और!

हरिद्वार। एक समय था जब तप कार्य करता था। उसके बाद यज्ञ, जप और तंत्र का जमाना आया। अब वर्तमान में पाखण्ड का युग है। जब तक सत्य सबके सामने आता है तब तक पाखण्ड का आवरण सारे में छा जाता है। उसी पाखण्ड को लोग सत्य समझने लगते हैं। किन्तु सत्य सत्य ही होता है। पाखण्ड के आवरण को एक दिन वह बेनकाब कर ही देता है।
ऐसा ही तीर्थनगरी में भगवाधारण करने वाले कालनेमियों की लम्बी फेहरिस्त हो चली है। जिस कारण से सत्य के मार्ग का अनुसरण करने वाले संतों को कोई पूछने वाला नहीं है। सब पाखण्ड के पीछे दौड़ लगा रहे हैं। इन कालनेमियों का कार्य छल के द्वारा सम्पत्तियों पर कब्जा करना और दूसरों को डराना धमकाना ही रह गया है।
बता दें कि भगवान दक्ष की नगरी कहे जाने वाली कनखल नगरी में एक आश्रम पर एक कथित संत का कब्जा है। जबकि वास्तविक रूप से उस पर दूसरे का अधिकार है। जिसको लेकर न्यायालय में विवाद भी चल रहा है। यहां तक की न्यायालय ने कब्जाधारी को पार्टी बनाने से भी इंकार कर दिया है। इसी के साथ एक और कालनेमियों का दल आश्रम को कब्जाने की जुगत में लगा हुआ है। पहले तो इस दल ने रणनीति के तहत एक संत को वहां का शिष्य बनवाया। इसके पीछे मंशा थी की यदि विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है तो शिष्य की आड़ लेकर आश्रम को कब्जाने में आसानी होगी। वहीं दूसरी ओर आश्रम के वास्तविक वारिस से भी सम्पर्क साधा गया। उन्हें प्रलोभन दिया गया कि हम आश्रम पर आपका कब्जा करवा देंगे, किन्तु शर्त यह है कि आपको आश्रम का चार्ज संभालने के बाद लिखित रूप से यह देना होगा की मेरे बाद आश्रम आपका। जबकि वह इस बात हो भलीभांति जानते हैं कि आश्रम पर जिसका कब्जा है वह भी असली नहीं है। असली वारिस कोई और है तथा वे चाहकर भी आश्रम पर किसी अन्य का कब्जा नहीं करवा सकते। कारण की आश्रम के एक हिस्से में जमीन की खरीद में किसी और का नाम अंकित है। साथ ही आश्रम के एक हिस्से में निर्मित भवन पर भी कोर्ट द्वारा उसको मालिकाना अधिकार दिया हुआ है। बावजूद इसके कालनेमियों का झुंड आश्रम पर कब्जे के रास्ते ढूढ़ने के प्रयास में लगा हुआ है। उन्हें भ्रम है कि ऊंची पहुंच के जरिए वह ऐसा कर सकते हैं। जबकि वास्तविक वारिस का कहना है कि भ्रम है तो बना रहना चाहिए। समय आने पर कालनेमियों के आवरण को एक झटके में हटाकर समाज के सामने ला दिया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *