अधिकारियों पर भी लगाए मामले में लीपापोती करने के आरोप
हरिद्वार। राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित पूर्व प्रधानाचार्य जगपाल सिंह सैनी ने उत्तराखंड शिक्षा विभाग में चल रहे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करते हुए फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर प्रधानाचार्य बनने का आरोप लगाया।
पत्रकारों से सैनी आश्रम में वार्ता करते हुए जगपाल सैनी ने बताया उ.प्र. शासन ने शासन आदेश सं.-1201/15-08-1994, 3009, (5)94 के अन्तर्गत ऐसे वन विकास खण्डांे में निजी प्रबन्ध तन्त्रों द्वारा कन्या हाई स्कूलों की स्थापना के लिए कार्यक्रम के अन्तर्गत जनपद हरिद्वार में नेशनल कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खानपुर हरिद्वार को भवन निर्माण के लिए शासन ने 20 लाख रुपये इस शर्त पर दिये थे कि विद्यालय भविष्य में कभी अनुदान की मांग नहीं करेंगे और अपनी आय के स्रोतों से ही विद्यालय का संचालन करेंगे।
इसी आधार पर माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तरांचल रामनगर नैनीताल ने दिनांक 17 मई 2022 को उक्त विद्यालय को हाई स्कूल की मान्यता प्रदान की। उस समय के विद्यालय प्रबन्धक घनश्याम दास ने सभी नियमों को ताक पर रखकर येन केन प्रकारेण शासन से वर्ष 2005 में विद्यालय को अनुदान सूची पर करवा दिया और अनुदान सूची पर आते ही घनश्याम दास जो उस समय प्रबन्धक थे, अपना नाम बदलकर घनश्याम गुप्ता के नाम से वर्ष 2004 में विद्यालय के प्रधानाचार्य बन गये और उन्होंने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्व विद्यालय वाराणसी उ.प्र. से शास्त्री परीक्षा 1996 अनुक्रमांक 12808ए जो बीए के समकक्ष होती है व शिक्षा शास्त्री परीक्षा वर्ष 1988 अनुक्रमांक 224 एन बीएड के समकक्ष होती है, के फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर अपने को प्रधानाचार्य दर्शाकर शासन से 2005 से वेतन लेना प्रारम्भ कर दिया। जबकि सम्पूर्णानन्द संस्कृत वि.वि. वाराणसी उ.प्र. की प्रवेश नियामवली के अनुसार जब तक इण्टर में संस्कृत न हो तब तक शास्त्री परीक्षा में प्रवेश नहीं लिया जा सकता और इनके पास इण्टर में संस्कृत विषय था ही नहीं। इस सम्बन्ध में शिकायत प्राप्त होने पर मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार ने अपने पत्र पृष्ठांकन सं०/ म० अ०शा0, 11721-22, जाँच सत्यापन ध् 2012-13 दिनांक 01/11 अक्टूबर 2012 व पुनः मुख्य शिक्षा अधिकारी ने अपने सं०- मा० अशा०, 12886-87, जाँच पत्र सत्यापन, 2012-13 दिनांक 27/11 अक्टूबर 2022 को जाँच के लिये सम्पूर्णानन्द संस्कृत वि.वि. वाराणसी उ.प्र. को भेजे गये।
सम्पूर्णानन्द संस्कृत वि.वि. वाराणसी उ.प्र. ने अपनी परीक्षा समिति की बैठक 18 जून 2013 के पत्रांक सं0-4 के द्वारा घनश्याम दास उर्फ घनश्याम गुप्ता केे उक्त दोनों प्रमाण पत्रों को फर्जी बताया। इस बीच उन्होंने एक वाद न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट जे.डी. लक्सर हरिद्वार के न्यायालय में वाद सं.-123/2019 में दायर किया। जिसमें न्यायालय ने अपने निर्णय में यह आदेश किया कि अभिवादी पीडित पक्ष नहीं है। पीडित पक्ष केवल राज्य सरकार या शिक्षा विभाग हो सकता है। इसके आधार पर न्यायालय ने उनके द्वारा दायर किया हुआ वाद खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने मण्डलीय उपशिक्षा निदेशक मा.शि. पौडी गढवाल को 15 जून2021, शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड शासन देहरादून, निदेशक मा.शि. ननूर खेडा देहरादून, सचिव शिक्षा उत्तराखण्ड शासन देहरादून को 15 जून 2021 को रजि. डाक से भेजे परन्तु इस सम्बन्ध में उन्होंने कोई संज्ञान नही लिया।
श्री सैनी ने बताया कि इसी बीच शिक्षा विभाग व अधिकारियों को भ्रमित करने के लिये घनश्याम दास उर्फ घनश्याम गुप्ता ने एक वाद उच्च न्यायालय इलाहाबाद में रिट पीटिशन सं.-39265/2013 सम्पूर्णानन्द संस्कृत वि.वि. वाराणसी उ.प्र. के खिलाफ दायर किया। इसी क्रम में उन्होंने एक प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी हरिद्वार को जनता दरबार में 07 दिसम्बर 2021 को इस आशय को दिया कि घनश्याम दास उर्फ घनश्याम गुप्ता पास शास्त्री परीक्षा व शिक्षा शास्त्री परीक्षा जो सम्पर्णानन्द संस्कृत वि.वि. वाराणसी के हैं, को उक्त वि.वि. ने अपनी बैठक 13 जून 2013 के प्रस्ताव के द्वारा फर्जी बताया है। इसीलिये मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार को आदेशित किया जाये कि उक्त प्रधानाचार्य के खिलाफ अपराधीय मुकद्मा दर्ज कर उन्हें पद से हटाया जाये और जो धन इसने प्राप्त किया है वो वसूल किया जाये। परन्तु मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार ने उनके इस पत्र की जाँच न कर अपने कार्यालय अभिलेखों के अनुसार यह लिख दिया है कि जांच हो चुकी है और उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। इसके विपरीत मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार ने उन्हें प्रधानाचार्य पद पर 31 मार्च 2024 तक सेवा विस्तार दे दिया है। श्री सैनी ने बताया कि घनश्याम दास उर्फ घनश्याम गुप्ता पुत्र कैलाशचन्द प्रधानाचार्य नेशलन कन्या इ०का० खानपुर 2005 से अवैधानिक रूप से प्रधानाचार्य बने हुये हैं और इन्होंने नियम विरूद्ध राजकीय कोष से वेतन के रूप में करोड़ों रूपया ले लिया है, जिससे राजकोष को करोडांे रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है। इसलिये घनश्याम दास उर्फ घनश्याम गुप्ता के विरूद्ध अपराधीय मुकदमा दर्ज हो।
इस संदर्भ में जब आरोपी प्रधानाचार्य घनश्याम गुप्ता से फोन पर वार्ता की तो उन्होंने अपने ऊपर लगे गंभीर आरोपों को नकारते हुए कहा की यूनिवर्सिटी में उनके कागज गायब करवा दिए गए हैं।