हरिद्वार। बाघम्बरी गद्दी के श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध मौत के बाद उनके कथित सुसाइट नोट में उनके उत्तराधिकारी बनाए जाने के तौर पर उनके शिष्य बलवीर गिरि का नाम आया था। जिसके बाद बलवीर गिरि को नरेन्द्र गिरि का उत्तराधिकारी बनाए जाने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया था। मौत पर बवाल मचने के बाद संतों ने नरेन्द्र गिरि के कथित सुसाइट नोट को ही सिरे से नकारते हुए उसे फर्जी करार दिया था। जिस कारण से बलवीर के उत्तराधिकारी बनने के रास्ते में अड़चने शुरू हो गयी थी।

यहां बता दें कि नरेन्द्र गिरि के कथित सुसाइट नोट में बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाने का जिक्र है। सुसाइट नोट सही है या फर्जी यह जाचं के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। किन्तु बड़ी बात यह की जिस बलवीर गिरि को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर समाज और मीडिया में पेश किया जा रहा है। वही व्यक्ति अपने को बलवीर गिरि की बजाय स्वंय को बलवीर पुरी कह रहा है। उसके बाद भी उसे बलवीर गिरि बनाकर प्रस्तुत किया जा रहा है। इस बात की तस्दीक स्वंय बलवीर पुरी के द्वारा हरिद्वार के विल्केश्वर महादेव मंदिर में लगाए गए अपने बैनरों में हो रही है। जिसमें बलवीर गिरि ने स्वंय अपनी फोटो के नीचे अपना नाम दिगम्बर बलवीर पुरी लिखवाया हुआ है। जिसमें स्वंय को श्री विल्वकेश्वर महादेव मंदिर का व्यवस्थापक भी बताया गया है। अब सवाल यह उठता है कि यदि बलवीर पुरी नरेन्द्र गिरि के शिष्य हैं तो बलवीर गिरि कौन है। क्यों कि वयीयत में जिस उत्तराधिकारी का जिक्र किया गया है वह बलवीर गिरि के नाम का है।