हरिद्वार। यूपी के चित्रकूट में तीन दिवसीय हिन्दू महाकुंभ का आयोजन किया गया। जिसमें देश भर के संतों को आमंत्रित किया गया था। जिसमें हरिद्वार से भी बड़ी संख्या में संतों ने शिरकत की। संतों को हिन्दू धर्म संसद में प्रतिभाग करने के लिए निमंत्रण दिया गया था। हरिद्वार में भी संतों को निमंत्रण दिया गया। जिस कारण कई संतों ने हिन्दू महाकुंभ में शिरकत की। वहीं हरिद्वार के एक बड़े संत को भी निमंत्रण दिया गया। जिसके बाद संतों में खलबली मच गयी। सूत्र बताते हैं कि निमंत्रण दे दिए जाने के बाद जो प्रतिक्रिया कुछ संतों की समाने आयी उसको कुछ वरिष्ठ संतों ने नजरअंदाज कर दिया और संत तो संत है कहकर आदरपूर्वक आने का आग्रह किया गया। सूत्र बताते हैं कि जिस बड़े संतों को निमंत्रण दिया गया था और वे जाने के लिए तैयार भी थे, जिसके चलते संसद में सम्मलित होने के लिए उन्होंने अपने बैनर भी कई जगह चस्पा कर दिए थे। मगर संत अपने साथ अपने दो घनिष्ठ संतों को साथ लाने की जिद पर अड़ गए। जिन्हें संसद में आने का निमंत्रण नहीं दिया गया था। बावजूद इसके संत उन्हें साथ लाने की जिद पर अड़े रहे जिसकी परिणति यह हुई की बैरागी सम्प्रदाय के वरिष्ठ पद पर आसीन संत को हार कर यह कहना पड़ा की तुम्हें आना है तो आओ वरना हरिद्वार में ही मौज करो। जिसके बाद संत की बोलती बंद हो गयी और उनका हिन्दू महाकुंभ में अपने घनिष्ठों के साथ जाने और मंच पर विराजमान होने का सपना धरा का धरा रह गया, अपमान हुआ सो अलग।


हिन्दू महाकुंभ: निमंत्रण के साथ हरिद्वार के संत को मिली दुत्कार!
