25-70 वर्ष की आयु में ज्यादा एड़ी नीचे नहीं लगती। पेराैं की थकावट से वायु कुपित होकर पिंडली से पीडा उत्पन मानसिक तनाव, गूर्दो की पथरी, मधुमेह, गूर्दो की सोजिशस एलोपैथी वाले इसे हड्डी बढ़ना कहते हैं।
आदर्श नारायणी तेल की मालिश एवं आदर्श शिलाजीत वटी, मनोहर बूंद (रामफल) वटी एवं दशमूल घनवटी तीनों की दो-दो गोली दो बार सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है!
देशी जुत्ती अरणडी के तैल में तर कर पहनें। विषगर्भ तैल, प्रसारनी तैल के तैल में खसखस उबाल कर मालिश करें।
अश्वगंधा चूर्ण 5-5 ग्राम सुबह शाम दूध से लें।
त्रियोंद्शाँग गूगुल 2-2 गोली महारास्नादी क्वाथ से 10-10 एमएल से दें दिन में 3 बार 25 दिनांे तक।
ईंट गर्म कर उसके ऊपर नीम के हरे पत्ते रख दें। ऊपर पतली लस्सी डाले जो खट्टी हो, जो भांप निकलेगी वो एड़ी को देनी है, फिर नीचे लिखा लेप लगायें।
सहजन की छाल, तिल की खली जो तैल निकाल कर बचती है, छोटी पीपल, हल्दी, सेंधा नमक सम मात्रा में लेकर गोमूत्र में पीसकर गर्म-गर्म कर सुबह-सुबह लेप करें। लेप उतार कर उपरोक्त सेक लेप 3-4 घंटे बंधा रहे।
Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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