हरिद्वार। तीर्थनगरी के कथित भगवाधारियों की लीला भी न्यारी है। यहां के कथित भगवाधारियों में से कुछ ऐसे हैं जो केवल भगवाधारण किए हुए हैं। जबकि उनका भगवे की गरिमा, मान सम्मान से काई वास्ता नहीं है। बावजूद इसके वास्तविक भगवाधारियों को कोई पूछने को भी तैयार नहीं है। भगवा धारण कर कुछ रियल स्टेट के कारोबार में लिप्त है। तो कुछ की ट्रेवल्स एजेंसियां चल रही हैं। कुछ अधिकारियों व नेताओं की जी हुजुरी कर ट्रांसफर आदि करवाने का धंधा अपनाएं हुए हैं। इतना ही नहीं बड़े-बड़े ठेकों में भी इनकी पत्ती रहती है। कुछ ने प्रापर्टी डीलरों से संबंध बनाए हुए हैं तो कुछ दूसरांे की सम्पत्ति पर कब्जा कर ऐशोआराम का जीवन यापन कर रहे हैं। इतना ही नहीं त्यागी होने के बाद भी ये गृहस्थ जीवन का भरपूर आनन्द ले रहे हैं।
ऐसे ही एक महंत हैं, जो अविवाहित हैं तथा लम्बे अर्से से भगवा धारण किया हुए हैं। बावजूद इसके इनके बच्चे सड़कों पर धूंल फांकने के लिए मजबूर हैं। महंत अपने स्थान पर जमकर मजे लूट रहे हैं और इनका कथित बेटा सड़कों की धूल फांक रहा है। कुछ समय पूर्व तक वह शिक्षा ग्रहण किया करता था, किन्तु किन्हीं कारणों से उसकी शिक्षा पर विराम लग गया। कारण की उसे स्कूल से निकाल दिया गया है। अब महंत का बेटा दिन भर सड़कों की धूल फांकता फिरता है और महंत मजे लूट रहे हैं। बावजूद इसके ये सब धर्म विरोधी कार्य कर दूसरों को उपदेश देने में ये कतई पीछे नहीं हैं। त्याग और तपस्या की बातों का तो मानो घुट्टी के साथ इन्होंने सेवन किया हुआ हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सनातन धर्म के ठेकेदारों के ये कृत्य धर्म को किसी मार्ग पर ले जाएंगे।

पिता महंत बनकर लूट रहा मजे, बेटा फांक रहा सड़कों की धूल


