कांग्रेस हाईकमान के साथ मीटिंग के बाद हरीश रावत भले ही मीडिया को विजेता जैसा दिखा रहे थे, लेकिन ऐसा है नहीं। हरीश रावत दिल्ली से सिर्फ झुनझुना लेकर लौट रहे हैं। हाईकमान ने उनकी एक भी बात नहीं मानी है।
हरीश रावत ने मीडिया से कहा कि वो चुनाव कैंपेन कमेटी को हेड करते रहेंगे। दरअसल हरीश रावत चुनाव कैंपेन कमेटी के पहले से ही अध्यक्ष हैं। इस पद पर उनको किसी ने चुनौती नहीं दी थी। इसकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा करना समझ से परे है। चुनाव प्रचार का काम देखने वाले अध्यक्ष का टिकट के दावेदारों के चयन में कोई दखल नहीं होता है। हरीश रावत टिकट बंटवारे में दखल चाहते थे। वो कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें नहीं दिया। इस तरह हरीश रावत सिर्फ झुनझुना लेकर लौटे। हरीश रावत पिछले एक साल से खुद को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग करते आ रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान हर बार उनकी मांग को ठुकरा चुका है। इस बार का उनका ट्वीट इसके दर्द को लेकर भी था। हाईकमान ने हरीश रावत को दिल्ली तो बुलाया लेकिन एक बार फिर सीएम फेस घोषित नहीं किया। हरीश रावत खाली हाथ ही लौटे।
दरअसल उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी इस चरम तक है कि वो एक-दूसरे को फूटी आंख तक नहीं सुहाते। मूल रूप से उत्तराखंड कांग्रेस तीन गुटों में बंटी है। हरीश रावत गुट में गणेश गोदियाल, प्रदीप टम्टा, यशपाल आर्य, सुरेंद्र अग्रवाल और गोविंद सिंह कुंजवाल आते हैं।
कांग्रेस हाईकमान ने साफ संदेश दिया कि पार्टी के सभी नेता मिलकर चुनाव जीतने के लिए काम करें। हरीश रावत को ये बात मीडिया के सामने बोलनी पड़ी। हालांकि हाईकमान के साथ इस मुलाकात के बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास का इरादा तो छोड़ दिया। दिल्ली से हरीश रावत खाली हाथ ही लौट रहे हैं। न तो उन्हें टिकट बंटवारे में कोई पावर मिली। न उन्हें सीएम फेस घोषित किया गया। अब उम्मीद है की आने वाले समय में हरीश रावत फिर कोई राजनीतिक बवाल करेंगे।