उत्तराखंड विधानसभा चुनावें हार के साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के राजनीतिक करियर पर फुल स्टॉप लग गया है।
दरअसल, हरीश रावत ने 14 फरवरी के मतदान के बाद एक बयान दिया था, जिसने उन्होंने कहा था कि इस बार या तो वे मुख्यमंत्री बनेंगे, वरना फिर घर बैठेंगे। वहीं आज आए रिजल्ट में नैनीताल जिले की लालकुआं विधानसभा सीट से हरीश रातव करीब 14 हजार वोटों हारे हैं। उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी मदन सिंह बिष्ट ने हराया है।
इसे हरीश रावत की शर्मनाक हार बताया जा रहा है। क्योंकि अपने राजनीति सफर के जिस अंतिम पड़ाव पर हरीश रावत को लगातार चार-चार हार का सामना करना पड़ा, उससे तो साफ है कि उनकी साख पर बड़ा बट्टा लगा है। बता दें कि हरीश रावत ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में एक साथ दो सीटों से चुनाव लड़ा था और वे दोनों ही हार गए थे। इसके बाद हरीश रावत ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी नैनीताल-उधमसिंह नगर की लोकसभा सीट से अपनी किस्मत अजमाई थी, लेकिन यहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत ने नैनीताल जिले की लालकुआं विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन यहां से भी वो करीब 14 हजार वोट से हार गए। हरीश रावत की इस हार के साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि ये हार हरदा के राजनीतिक करियर पर फुल स्टॉप लगा देगी। हरीश रावत को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने भी घोषणा की थी कि लालकुआं सीट से हरदा के लिए राजनीतिक मौत का कुआं साबित होगी।
2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने हरिद्वार सीट से टिकट दिया और इस बार उन्हें सफलता हाथ लगी। हरीश रावत चौथी बार लोकसभा पहुंचे। फरवरी 2014 में उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 2017 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। इस दौरान उन्होंने जुलाई 2014 में उत्तराखंड की धारचुला सीट से उपचुनाव में जीत दर्ज की और उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य बने। साल 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हरीश रावत ने हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा दो सीटों से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह दोनों सीटें हार गए। मुख्यमंत्री होते हुए दोनों सीटे हार जाना हरीश रावत के लिए बड़ा झटका था। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर अपना चुनाव क्षेत्र बदला और नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट से चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

हरदा के राजनीतिक करियर पर हार के साथ ही लगा फुल स्टॉप!


