हरिद्वार। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में महज कुछ ही समय बचा है। ऐसे में सभी दलों ने देवभूमि में चुनावी शंखनाद कर दिया है। प्रदेश में चुनावी रैली, यात्रा और जनसभाओं का दौर जारी है। हर दल के नेता पार्टी में टिकट की दावेदारी को लेकर अपनी ताल ठोक रहे हैं। वहीं, उत्तराखंड की हॉट सीटों में शुमार हरिद्वार विधानसभा सीट को लेकर सभी दलों में नेता अपनी दावेदारी कर चुके हैं। बावजूद इसके हरिद्वार सीट पर प्रत्याशी का चयन सभी दलों के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
इस समय हरिद्वार उत्तराखंड की सबसे हॉट सीट बनी हुई है। क्योंकि इस पर सालों से लगातार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का कब्जा रहा है। कांग्रेस में इस सीट को लेकर गुटबाजी देखने को मिल रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि हरिद्वार की एक सीट पर चार कांग्रेसी नेता दावेदारी कर रहे हैं। इसी के साथ-साथ हरिद्वार सीट पर स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा बना हुआ है। कांग्रेस की ओर से सतपाल ब्रह्मचारी लम्बे समय से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। जबकि हरिद्वार नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने दावेदारी की है। वहीं, उनके हरिद्वार में डेरा डालने से कांग्रेस के स्थानीय नेताओं और टिकट दावेदारों में असहजता है। माना जा रहा है कि हरिद्वार में कांग्रेस का एक गुट आलोक शर्मा को हरिद्वार से चुनाव मैदान में उतारना चाहता है। वहीं, कांग्रेस का दूसरा गुट आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर स्थानीय नेता को टिकट का समर्थक है। जिसमें सबसे आगे सतपाल ब्रह्मचारी का नाम है। जबकि सतपाल ब्रह्मचारी के अपने ही उन्हें टिकट से दूर रखने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। जबकि आलोक शर्मा हरिद्वार शहर सीट से चुनावी मैदान में कूद गए हैं। पूरा शहर उनके पोस्टर और होर्डिंग्स से पटा पड़ा है। आलोक शर्मा द्वारा हरिद्वार शहर सीट से दावेदारी करने से स्थानीय कांग्रेस नेता और टिकट दावेदार असहज नजर आ रहे हैं। हालांकि कोई भी खुलकर आलोक शर्मा की खिलाफत नहीं कर रहा है, लेकिन दबी जुबान में सभी इस कदम को गलत ठहरा रहे हैं। स्थानीय दावेदारों का कहना है कि उन्हें पार्टी की नीति पर पूरा भरोसा है। पार्टी स्थानीय नेता पर ही भरोसा जताएगी।
9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर नए राज्य उत्तराखंड का गठन हुआ। जिसमें हरिद्वार भी शामिल किया गया। 2002 में उत्तराखंड के लिए पहली बार विधानसभा चुनाव हुए। 2002 में भाजपा उम्मीदवार मदन कौशिक चुनाव जीते। उसके बाद लगातार कौशिक ने 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। ऐसे में 20 सालों के वनवास को कांग्रेस किस तरह खत्म कर पाएगी? ये देखना दिलचस्प होगा। इस तरह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास में हरिद्वार की विधानसभा सीट से पहली बार कोई विधायक लगातार चार बार विधानसभा चुनाव जीता, जिसका श्रेय मदन कौशिक को जाता है। किन्तु वर्तमान में जिस प्रकार से कांग्रेस के अंदर गुटबाजी स्थानीय और बाहरी को लेकर उभरी है उसको देखते हुए कांग्रेस अपने बनवास का खत्म कर पाएगी, हालातों को देखकर मुश्किल प्रतीत हो रहा है। लोगों का मानना है कि यदि कांग्रेस की ओर से स्थानीय का टिकट दिया जाता है तो वह भाजपा के लिए चुनौती बन सकता है।

विस चुनाव 2022ः हॉट सीट बनी हरिद्वार, कांग्रेस गुटबाजी में उलझ रही!


