exclusive: संतों के लिए बड़ी खुशखबरीः- साधु बनने के बाद भी कर सकते हैं शादी

पत्नी की जगह बच्चे होगें मठ या सम्पत्ति के मालिक
हरिद्वार।
संतों के लिए बड़ी खुशखबरी का समाचार आया है। खासकर उनके लिए जो भगवा धारण करने के बाद भी सुंदरी के पीछे भागते हैं। इतना ही नहीं अब इन्हें कोई भी कार्य छुपकर भी नहीं करना पड़ेगा। इतना ही नहीं शादी के बाद इनकी संतान होने पर उनके पुत्र या पुत्री को मठ का स्वामी बनाया जा सकता है। जबकि पत्नी को सम्पत्ति में कोई अधिकार नहीं होगा। यह हम नहीं कह रहे हैं। यह फरमान वर्ष 1904 में जूनागढ़ रियासत के नवाब रसुलखान ने जारी किया था।

मूल पत्र की प्रतिलिपि


संवत 1960 के आषाढ़ सुदी 2 शुक्रवार 12 जुलाई सन् 1904 को जूनागढ़ रियासत के नवाब रसुलखान ने फरमान जारी करते हुए कहा था कि

हिन्दी अनुवाद


1ः- इस राज्य के अन्दर धार्मिक संस्थाआंे के सम्बन्ध में या अन्नक्षेत्र कार्य के लिए करमुक्त जमीन या नकद रकम देने में आती है। इसमें
व्यवस्था करने वाले व्यव्यथापकांे को फक्कड़ अथवा लंगोट बंध रहना चाहिए। ऐसा इनके ऊपर नियमानुसार प्रस्ताव पारितकर अनुबंध लगाने मंे आया है। इसे सेटलमेंट के प्रस्तावांे मंे मुख्य शर्तों के रूप में रखा गया है।
2ः- इस शर्त को सदा के लिए लागू रखने से निति नियमांे का भंग होना संभव है, इसलिए ऐसा प्रस्ताव किया जाता है की इस राज्य की सीमा के अन्दर आने वाले सभी धार्मिक जगहों के व्यवस्थापक जिन पर लंगोटी बंध रहने का अनुबंध करने में आया है, इनकों अगर सांसारिक व्यवहार करने की इच्छा हो तो उनको नियमानुसार शादी करने की छूट दी जाती है, जो व्यक्ति फक्कड़ या लंगोट बंध रहना चाहता है वो इस स्थिति रह सकते हैं, उसमंे कोई परेशानी नहीं होगी।
3ः- परन्तु शादी करने के बाद इन व्यवस्थापकों को अगर कोई पुत्र
(संतान) हुआ तो इनका पुत्र अथवा पुत्र मंे से कोई भी इनकी अनुपस्थिति के बाद व्यवस्थापक की जगह नियुक्ती करनी चाहिए अथवा धर्मादा सम्बंधित संम्पत्ति पर इनका किसी भी प्रकार का कोई अधिकार नहीं मानना है। ऐसा इनको नहीं मानना है। राज्य के नियमानुसार जो ये लोग योग्य होंगे तो इस सम्बन्ध में सघन विचार किया जायेगा।
4ः- धार्मिक या अन्न क्षेत्र सम्बंधित जमीन या नगद रकम या दूसरी संम्पत्ति हो उसकी व्यवस्था धार्मिक या अन्नक्षेत्र के कार्य के लिए ही व्यवस्था करने की जिम्मेवारी दी गयी है। उसे इस प्रस्ताव से कोई असर नहीं होगा और उस समय व्यवस्था करने वाले ने अगर सम्पत्ति सम्बन्धी अव्यवस्था अथवा दुराचार किया होगा तो उनको दूर करने सम्बन्ध में वर्तमान में जिस पद्धति से कार्य चलता है उसी तरह से कार्य किया जायेगा।
संवत 1960 के निज जेस्ठ वद 2 वार बुधवार तारीख 29
जून सने 1904

रसुलखान जी
नवाब साहेब रियासते जुनागढ़।

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