जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए व हिन्दू राष्ट्र घोषित करे सरकार
हरिद्वार। समान नागरिकता संहिता कानून के समर्थन में हरकी पैड़ी पर संतों ने एक दिवसीय सांकेतिक उपवास किया। इस दौरान संतों ने यूसीसी को पूरे देश में शीघ्र लागू करने की एक स्वर में मांग की।
इस अवसर पर म.म. स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज ने कहाकि भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। पूर्व की सरकारों की नीतियों के कारण भारत दुर्दशा की ओर बढ़ता गया। मोदी सरकार के आने के बाद देश का चहुमुंखी विकास हो रहा है। कहाकि संतांे का यह आशीर्वाद है कि पीएम मोदी दीर्घायु हों और लम्बे समय तक देश पर राज करें। कहाकि धारा 370 जैसे ज्वालंत मुद्दे को मोदी सरकार ने हटा दिया। राम मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है। कहाकि विपक्ष विलाप करता था कि धारा 370 हटेगी और राम मंदिर बनेगा तो देश जल उठेगा, किन्तु देश में एक चींटी तक नहीं मरी। मोदी सरकार देश को विश्वगुरु बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है।
उन्होंने कहाकि देश में अलग-अलग सम्प्रदायों के लिए अलग-अलग कानून हैं। जब देश सबके लिए एक है और देश में रहने वाले एक हैं तो सभी के लिए कानून भी एक ही होना चाहिए। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की कि तत्काल यूसीसी को लागू किया जाए। जिससे देश में समानता का भाव बन सके। उन्होंने कहाकि यूसीसी के बाद जनसंख्या नियंत्रण कानून भी लागू किया जाना चाहिए। कहाकि सरकार कहती है कि हम दो हमारे दो, किन्तु कुछ लोग हम दो हमारे चालीस का पालन कर रहे हैं। स्वामी प्रबोधानंद ने कहाकि जिसके दो बच्चों से अधिक हों उनकी सारी सरकारी सुविधाएं समाप्त होनी चाहिए। ऐसे लोग शरणार्थी की भांति जीवन जिएं। स्वामी प्रबंोधानंद ने कहाकि जब देश का बंटवारा धर्म के आधार पर किया गया तो भारत को शीघ्र ही हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर विहिप की साध्वी प्राची ने यूसीसी को देश में शीघ्र लागू करने की मांग करते हुए उत्तराखण्ड सरकार के मुखिया पुष्कर सिंह धामी की प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि सीएम धामी ने इस कानून को लागू करने की पहल कर सराहनीय कार्य किया है। अब केन्द्र सरकार को भी इसे शीघ्र पारित करना चाहिए। उन्होंने कहाकि इस कार्य को मोदी सरकार ही पूरा कर सकती है।
उपवास कार्यक्रम की अध्यक्षता महामण्डलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि महाराज ने की। स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश, बाबा हठयोगी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
महामण्डलेश्वर अननंतानंद महाराज, राम मुनि, स्वामी ऋषिश्वरानदं, स्वमी हरिचेतनानंद, बाबा हठयोगी, बलराम मुनि, महंत विष्णु दास, महंत प्रेमानंद, भरत मुनि, स्वामी रविदेव शास्त्री, योगी श्रद्धानाथ आदि मौजूद रहे।