किसी भी शिष्य ने गुरु पर्व पर बापू को नहीं किया यादः रूद्रानंद
हरिद्वार। गुरु पूर्णिमा पर्व पर गुरुओं का पूजन करने के लिए शिष्यों भी भारी भीड़ अपने-अपने गुरु स्थान पर रही। किन्तु एक समाधि स्थल ऐसा था जहां एक-दो शिष्यों ने की गुरु को श्रद्धासुमन अर्पित कर अपने कार्य की इतिश्री कर ली। यह समाधि व स्थान किसी और का नहीं अग्नि अखाड़े के सभापति गोपालानंद बापू का था। उनके जीवित रहते हुए गुरु पूर्णिमा पर्व पर तमाम शिष्यों और अनुयायियों की भारी भीड़ रहा करती थी, किन्तु गुरु पूर्णिमा पर इस बार वीरानी छायी रही।
इस संबंध में स्वामी रूद्रानंद गिरि महाराज ने कहाकि बापू के जीवित रहते हुए तमाम शिष्यों और अनुयायियों की भीड़ रहा करती थी, किन्तु इस बार कांेई भी समाधि पर पुष्प अर्पित करने नहीं आया। उन्होंने कहाकि जो स्टेचू गोपालानंद बापू का लगाया गया था उस पर छत की कोई व्यवस्था नहीं की गयी। जिस कारण से पक्षी स्टेचू पर बैठकर मल आदि का त्याग कर रहे हैं। जिस कारण से बापू का अपमान किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि स्वामी मुक्तानंद महाराज ने जिस व्यक्ति को शिष्य बनाया जो की चापरडा में निवास करता है वह भी बापू को पुष्प अर्पित करने के लिए नहीं आया। उन्होंने कहाकि बापू की सम्पत्ति के लिए उनके चेले आपस में झगड रहे हैं किन्तु न तो कोई बापू के आदर्शों को आत्मसात कर पाया और न ही उनकी पद प्रतिष्ठा को कायम रखने का कार्य कर रहा है। उन्होंने कहाकि गुरु पूर्णिमा पर बापू को भुल जाना परम्परा और गुरु का अपमान है।

गुरु पूर्णिमा पर सूनी पड़ी रही गोपालानंद बापू की समाधि


