प्रयाग राज। श्री शंभू पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के श्री महंत गोपाल गिरि महाराज ने कहा कि पूर्ण कुम्भ मेला में पहले बिना दीक्षा दिये किसी को महामण्ड़लेश्वर बनाए जाने की परंपरा देखने को मिल रही है।
उन्होंने कहा कि आज कल वो महामण्ड़लेश्वर बन रहे है, उनको महामंडलेश्वर बनने का कोई अधिकार नही है। ना ही वह सन्यासी है और ना ही षडदर्शन साधु है। बस पैसे के लिये महामण्ड़लेश्वर बनाया जा रहा है, जो उचित नहीं है। श्री महंत गोपाल गिरि महाराज ने कहा कि अखाड़े पहले सन्यास पद्धति का अवलोकन कराएं और फिर सन्यास दें।
कहा कि महामंडलेश्वर बनने और संन्यास लेना कोई बच्चो का खेल नही है, जो खिलौना खरीदा खेला और जब दिल भरा तो तोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि संन्यास लेना और महामंडलेश्वर बनना दोनों अलग विषय है। महामंडलेश्वर विद्वान को ही बनाया जा सकता है, किंतु आज धन बल के आगे विद्वता बौनी साबित हो रही है। इस पर संतों को मंथन करना चाहिए। कहा कि जब विद्वान लोग महामंडलेश्वर बनेंगे तभी देश व समाज का भला हो सकता है था परंपराएं अक्षुण्ण रह सकती है।