प्रतिदिन बच्चों को प्यार से जगायें व उन्हों बासी मुंह पानी पीने की आदत डालें।
चाय की जगह ताजा दूध उबालें व गुनगुना होने पर बच्चों को दें। दूध से प्राप्त प्रोटीन्स व कैल्शियम शारीरिक विकास के लिए अति महत्त्वपूर्ण होते हैं।
सुबह नाश्ते में तले हुए पदार्थों की जगह उबले चने, अंकुरित मूँग, मोठ व चने की चाट बनायें। इसमें हरा धनिया, खोपरा, टमाटर, हलका सा नमक व जीरा डालें। ऊपर से नीबूं निचोड़कर बच्चों को दें। यह ‘विटामिन ई’ से भरपूर है, जो चेहरे की चमक बढाकर ऊर्जावान बनायेगा।
सब्जियों का उपयोग करने से पहले उन्हें 2-3 बार पानी से धो लें। छीलते समय पतला छिलका ही उतारें क्योंकि छिलके व गुदे के बीच की पतली परत ‘विटामिन बी’ से भरपूर होती है।
सब्जियों को जरूरत से अधिक देर तक न पकायें, नहीं तो उनके पोषक तत्त्व नष्ट हो जायेंगे। पत्तेदार हरी सब्जियों से मिलने वाले लौह (आयरन) तथा खनिज लवणों (मिनरल साँल्ट्स) की कमी को कैप्सूल व दवाईयों के रूप से पूर्ति करने से बेहतर है कि इनको अपने भोजन में शामिल करें।
सप्ताह में 1-2 दिन पत्तेदार हरी सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी, मूली के पत्ते, चौलाई आदि की सब्जी जरुर खायें। इस सब्जियों को छिलकेवाली दलों के साथ भी बना सकते हैं क्योंकि दालें प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत हैं।
चावल बनाते समय माँड न निकालें।
चोकरयुक्त रोटी साधारण रोटी की तुलना में अधिक ऊर्जावान होती है। आटा हमेशा बड़े छेदवाली छन्नी से ही छानें।
दाल व सब्जी में मिठास लानी हो तो शक्कर की जगह गुड डालें क्योंकि गुड़ में ग्लुकोज, लौह-तत्त्व,कैल्सियम व केरोटिन होता हैद्य यह खून की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ हड्डियों को भी मजबूत बनाता है।
जहाँ तक सम्भव हो सभी खट्टे फल कच्चे ही खायें व खिलायें क्योंकि आँवले को छोडकर सभी खट्टे फलों व सब्जियों का ‘विटामिन सी’ गर्म करने पर नष्ट हो जाता है।
भोजन के साथ सलाद के रूप में ककड़ी, टमाटर, गाजर, मूली, पालक, चुकंदर, पत्ता गोभी आदि खाने की आदत डालें द्य ये आँतों की गति को नियमित रखकर रोगों की जड़ कब्जियत से बचायेंगे।
दिनभर में डेढ़ से दो लीटर पानी पियें।
बच्चों को चाँकलेट, बिस्कुट की जगह गुड़, मूँगफली तथा तिल की चिक्की बनाकर दें। गुड़ की मीठी व नमकीन पूरी बनाकर भी दे सकते है।
जहाँ तक हो सके परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करें। कम-से-कम शाम को तो सभी एक साथ बैठकर भोजन कर ही सकते हैं। साथ में भोजन करने से पुरे परिवार में आपसी प्रेम व सौहार्द की वृद्धि तथा समय की बचत होती है।
उपरोक्त बातें भले ही सामान्य और छोटी-छोटी है लेकिन इन्हें अपनायें, ये बड़े काम की हैं।
Dr. (Vaidhya) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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