हरदा और प्रीतम की लड़ाई में कहीं बाजी न मार जाएं गौदियाल

हरिद्वार। 14 फरवरी को उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए मतदान हो चुका है। सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गयी है। जिनका फैसला 10 मार्च को मतगणना के साथ होगा।
मतदान के बाद से सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। वहीं जहां कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी का दावा कर रही है तो वहीं भाजपा भी पुनः सत्ता में वापसी का दंभ भर रही है। अब दोनों दलों में से ताज किसके सिर सजेगा यह 10 मार्च को स्पष्ट हो जाएगा।
उधर नजीतों से पूर्व की मुख्यमंत्री बनने के दावेदार भी खुलकर सामने आने लगे हैं। पूर्व में दलित सीएम बनाने की बात करने वाले हरीश रावत अब स्वंय मुख्यमंत्री बनने की बात कहने लगे हैं। उनका कहना था कि वे या तो मुख्यमंत्री बनेगें या फिर घर बैठेंगे। इस बयान के बाद किरकिरी होने पर उन्होंने सीएम बनने का निर्णय हाईकमान पर छोड़ कर मामले को शांत करने की कोशिश की। उधर कांग्र्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं। ऐसे में यििद कांग्रेस सत्ता में आती है तो कोई एक ही मुख्यमंत्री बनेगा। कहावत है कि दो बंदरों की लड़ाई में मजे बिल्ली के आते हैं। ऐसे मंे मुख्यमंत्री बनने की चाह रखने में हरीश और प्रीतम की लड़ाई में कहीं गणेश गौदियाल की लाटरी न लग जाए। कहीं ऐसा ना हो की हरीश रावत और प्रीतम सिंह देखते रह जाएं और मुख्यमंत्री को ताज गणेश गौदियाल के सिर पर सज जाए। बहरहाल कौन मुख्यमंत्री बनेगा, किसकी सरकार सत्ता पर काबिज होगी यह 10 मार्च को स्पष्ट हो जाएगा। जब तक सभी मुख्यमंत्री बनने के ख्याब संजोए रखिए।

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