हरिद्वार। पोलिआर्किटिक विश्व भूभाग से प्रतिवर्ष गंगा के तटों एवं भारत के कई स्थानों एवं ताल तलैया में आने वाले प्रवासी पक्षियों की अपने मातृ देशों की ओर वापसी यात्रा जारी है। उम्मीद है की अप्रैल अंत तक सभी प्रवासी पक्षी अपने मूल प्रजनन स्थानों को लौट चुके होंगे।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के सुप्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक एमिरीटस प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने बताया कि बसंत ऋतु के अंतिम चरण में दिनमान और तापमान के बढऩे के साथ ही राजहंस पक्षी स्वदेश वापस लौट गए हैं। इस वर्ष राजहंस पक्षियों को हरिद्वार का मिस्सरपुर गंगा घाट काफी पसंद आया जिस कारण राजहंस पक्षी पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष काफी लंबे समय तक मिस्सरपुर में नजर आए। उन्होंने बताया कि अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि दक्षिण भारत से अपने देशों की ओर उड़ान भरने वाले कुछ पक्षी जैसे राजहंस, गल्स, पिनटेल इत्यादी मार्च माह में अपनी वापसी यात्रा के दौरान कुछ समय के लिए गंगा तटो में भी विश्राम करते हैं और सेंट्रल एशियन फ्लाई वे मार्ग से स्वदेश (रूस, मंगोलिआ,चीन, कजाकिस्तान इत्यादि ) पहुचे हैं। मार्ग तय करने के लिए इन्हें प्रकृति ने वरदान दिया है कि प्रस्थान करने से पूर्व इनके शरीर में वसा की मात्रा बढ़ेगी और चोंच पर लगे जीपीएस जैसे सेंसर से इन्हें दिशा बोध होगा।
शोधार्थी आशीष कुमार आर्य ने बताया की राजहंस पक्षी मानसरोवर झील से सर्दियों में भारत के उत्तरी मैदानी भागों में प्रवास करता है। राजहंस पक्षी सबसे ऊंची उड़ान भरने वाला पक्षी है। इस पक्षी को कई बार माउंट एवरेस्ट के ऊपर से से भी उड़ते हुए देखा गया है। यह पक्षी मानसरोवर झील से मंगोलिआ तक ग्रीष्म काल में प्रजजन करता है और वहां शीत ऋतु में बर्फ पड़ते ही भारत की ओर प्रस्थान करता है।
उन्होंने बताया कि आश्चर्य की बात है की जहां सभी पक्षी विदा हो चुके हैं, किन्तु लद्दाख की और प्रस्थान करने वाली सुर्खाब का एक बड़ा फ्लॉक अभी भी मिस्सरपुर गंगा तट पर प्रवास कर रहा है। प्रतीत होता है कि क्लाइमेट चेंज का असर इस पक्षी के मार्ग में बाधा उत्पन्न कर रहा है। इस पक्षी के अभी तक रुकने पर शोध जारी है और देश के विभिन्न हिस्सों से आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।
उत्तरखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. विनय सेठी व एमिरीटस प्रोफसर दिनेश भट्ट ने बताया की मिस्सरपुर गंगा तट पर रेत बजरी के खनन होने के कारण इन पक्षियों के वास स्थल पर खतरा मंडरा रहा है। विदित हो कि गंगा में अवैध खनन रोकने के लिए मातृ सदन के स्वामी शिवानंद एवं उनके शिष्य अनशन एवं तपस्या कर रहे हैं। अत: प्रवासी पक्षियों के संरक्षण पर सरकार एवं जनता को ध्यान देना चाहिए। प्रोफेसर भट्ट की टीम में रोबिन राठी, आशीष कुमार आर्या, पारुल भटनागर, रेखा रावत आदि शोध छात्र शामिल रहे।