गजबः पहले शिकायतकर्ता और उसके पिता के विरुद्ध दर्ज किया संगीन धाराओं में मुकदमा फिर लगा दी अंतिम रिपोर्ट?

हरिद्वार। इस समय हरिद्वार में पुलिस जिला प्रमुख के पद पर देवभूमि उत्तराखंड के ईमानदार और तेज तर्रार अधिकारियों में शुमार अजय सिंह तैनात हैं। यह वही अधिकारी हैं जिन्होंने यशपाल तोमर जैसे माफियाओं पर नकेल कसते हुए उन्हें सलाखों के पीछे भेजा। इतना ही नहीं आज भी इनकी कार्यप्रणाली के चर्चे देशभर में हैं। ऐसी स्थिति में इन पर किसी भी तरह का प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा सकता। लेकिन इसके विपरीत यहां कुछ ऐसे पुलिसकर्मी भी हैं, जिनके कारण पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं?


मंशा देवी मंदिर प्रकरण मामले में पीडि़त वासु सिंह बताते हैं की उनके दादा स्वर्गीय मेवालाल श्री मां मनसा देवी ट्रस्ट के ट्रस्टी थे, लेकिन निरंजनी अखाड़ा शुरू से ही मनसा देवी मंदिर पर कब्जा करने की फिराक में है तथा मंदिर में दान स्वरूप प्राप्त होने वाली धनराशि और कीमती आभूषणों का लगातार दुरुपयोग हो रहा है। श्री मां मनसा देवी ट्रस्ट अपंजीकृत है, लेकिन इसके बाद भी निरंजनी अखाड़े के महंत खुद को इस ट्रस्ट का अध्यक्ष बताते हैं और उनके सहयोगी खुद को ट्रस्ट का ट्रस्टी होना प्रचारित प्रसारित कर रहे हैं, जो आम जनता के साथ धोखा है।


इस संबंध में वे लगातार मनसा देवी मंदिर की व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने तथा आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग करते चले आ रहे हैं, इसके बाद भी पुलिस उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही।
उनका कहना है कि इस संबंध में उच्च अधिकारियों से लेकर उत्तराखंड के राज्यपाल सहित मुख्यमंत्री और अन्य को शिकायती पत्र प्रेषित कर रहे हैं, बावजूद इसके प्रभावशाली महंत रविंद्रपुरी और उनके सहयोगियों के विरुद्ध पुलिस और प्रशासन कोई कड़ी कार्रवाई नहीं कर रहा है। बासु सिंह बताते हैं की नगर कोतवाली पुलिस ने आरोपियों के साथ मिलकर शिकायतकर्ता तथा उनके पिता पर नाजायज दबाव बनाने के उद्देश्य से गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया और पुलिस उन्हें जेल भेजने की फिराक में थी। उन्होंने इस संबंध में उच्च न्यायालय की शरण ली।
इसके बाद दिनांक 22 दिसंबर 2022 को थाना कोतवाली नगर हरिद्वार ने पुलिस क्षेत्राधिकारी नगर को प्रेषित रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख किया है कि जांच में पाया गया की आवेदक वासु सिंह आदि के विरुद्ध दिनांक 22.04.2022 को मुकदमा अपराध संख्या 146/22 भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467, 468, 471, 120 वी पंजीकृत हुआ था, जिसमें अंतिम रिपोर्ट की जा चुकी है।


स्पष्ट है की पुलिस ने जानबूझकर आरोपियों के साथ मिलकर दबाव बनाने के उद्देश्य से पीडि़त और उसके पिता के विरुद्ध झूठा मुकदमा दर्ज किया था, ताकि शिकायतकर्ता और उसके परिवार सहित उसके सहयोगियों को जेल भेजा जा सके, लेकिन पुलिस इसमें कामयाब नहीं हो पाई। उनका कहना है कि अन्याय के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

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