हरिद्वार। तीर्थनगरी में श्रावणी व रक्षा बंधन का पर्व श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर शुक्ल यजुर्वेद ब्राह्मणों ने जहां श्रावणी उपाकर्म कर पर्व मनाया तो वहीं बहिनों ने भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर रक्षाबंधन का पर्व मनाया।
बता दें कि रक्षा बंधन व श्रावणी पर्व मनाए जाने को लेकर कई दिनों से ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी। कुछ लोग 11 अगस्त को तो कुछ 12 अगस्त को रक्षा बंधन का पर्व मनाने की बात कर रहे थे। इस मामले में ज्योतिषियों की राय भी अलग-अलग सामने आ रही थी। अलग-अलग राय और ज्योतिष गणना के बाद भी ऊहापोह की स्थिति बनी रही। कुछ लोगों ने गुरुवार को श्रावणी व रक्षा बंधन का पर्व मनाया तो कुछ लोग शुक्रवार को इस पर्व को मनाएंगे। वहीं श्रावणी पर्व अधिकांश शुक्ल यजुर्वेद ब्राह्मणों ने आज ही मनाया।

प्रातः दस बजे के बाद रक्षा बंधन का पर्व मुहुर्त के मुताबिक मनाना शुरू हुआ। इस दौरान बहिनों ने भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर जहां अपनी रक्षा का वचन लिया वहीं भाईयों ने बहिनों को उपहार आदि देकर उनकी रक्षा का वचन दिया।
उधर श्रावणी पर्व को ब्राह्मणों ने गंगा के तट पर मनाया। ब्राह्मणों ने श्रावणी पर्व के दौरान ऋषि तर्पण, यज्ञोपवीत संधान आदि कर्म कर नवीन यज्ञोपवीत धारण किए। बता दें कि श्रावणी पर्व चार वर्णों में से एक ब्राह्मण वर्ग का प्रमुख पर्व है। इस दिन यज्ञोपवीत धारण करना ब्राह्मणों के लिए अनिवार्य बताया गया है। इसके साथ ही कई स्थानों पर यज्ञोपवीत संस्कार के आयोजन भी किए गए। शांतिकुंज व अन्य स्थानों के साथ सूरत गिरि बंगले में भी सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार का आयोजन किया गया। वैदिक विद्वानों द्वारा यज्ञोपवीत संस्कार कराया गया। इस अवसर पर सूरतगिरि बंगले में करीब 35 बटुकों का सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार किया गया। जिसके बाद आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने यज्ञोपवीत संस्कार के दौरान की जाने वाली भिक्षा के संस्कार के दौरान सभी बटुकों को भिक्षा दी। तीर्थनगरी में श्रावणी व रक्षाबंधन पर्व की धूम रही।

वहीं दूसरी ओर श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को शुक्ल यजुर्वेद ब्रह्मणों ने राजघाट कनखल में श्रावणी कर्म किया। इस अनुष्ठान में तर्पण, हेमाद्रि संकल्प, पाप विमोचन, यज्ञोपवीत अनुसंधान, ऋषि पूजन, ऋषि तर्पण, रक्षा अनुसंधान संस्थान विस्तार पूर्वक किया गया। समस्त अनुसंधान आचार्य नितिन शुक्ला के नेतृत्व में किया गया। इस अनुष्ठान में डाक्टर प्रतीक मिश्रपुरी, पंडित दीप रत्न शर्मा, विनीत पराशर, अंकित शर्मा, अभिनव शुक्ला, नीरज शुक्ला, साहिल कौशिक, रचित शर्मा, राघवेंद्र शर्मा, योगेश शर्मा, मनोज शर्मा, शिवम भारद्वाज, पंकज शर्मा, राघव वशिष्ठ, माधव वसिष्ठ इत्यादि उपस्थित रहे। इस अवसर पर डॉक्टर प्रतीक ने कहाकि यदि वर्ष भर में कोई पाप मन, वचन,कर्म से जाने-अंजाने मंें हो जाते हैं, जिन लोगांे की बढ़ाई नहीं करनी चाहिए उनकी भी बढ़ाई कभी-कभी करनी पड़ती है, इस प्रकार के समस्त पापांे का विमोचन हेमाद्रि संकप से स्नान के बाद हो जाता है।